Jaishankar: विदेश मंत्री का बड़ा खुलासा, PM मोदी ने फोन से बात कर दो बार रुकवाया था रूस-यूक्रेन युद्ध

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MEA: भारत के विदेश मंत्री ने चाबहार समझौते के लिए ईरान के दिवंगत नेताओं को याद किया, विदेश नीति पर भी दिया जोर
(विदेश मंत्री एस जयशंकर) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। अब तक पांच चरणों के दौरान कई प्रदेशों में मतदान हो गए हैं और अभी आगे कई राज्यों में कराए जाने हैं। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में जी-20, रूस-युक्रेन युद्ध के बीच अपने लोगों को देश वापस लाने और राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि कैसे पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक नहीं बल्कि दो-दो बार रुकवाया।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह पहली बार था जब किसी देश ने यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को एक नहीं बल्कि दो बार रोकने में सफलता हासिल की। उन्होंने बताया कि सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को देश वापस लाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘हां यूक्रेन युद्ध रुकवा दिया, अगर आप मुझसे युद्ध रोकने के बारे में पूछेंगे तो मेरा जवाब हां होगा। मैं इसका गवाह हूं। मैं आपको तारीख बता सकता हूं। मैं आपको समय दे सकता हूं। मैं आपको बता सकता हूं कैसे और किसके लिए युद्ध रोका गया।’

मीडिया सूत्रों के अनुसार, उन्होंने आगे खुलासा किया, ‘हमने एक नहीं दो बार ऐसा काम करके दिखाया है। सबसे पहली बार खार्किव में पांच मार्च को युद्ध रोका गया था, जब जब हमारे छात्र यूक्रेन में निकटतम सुरक्षित जगह की ओर जा रहे थे और भारी गोलीबारी हो रही थी। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया और उनसे हमारे छात्रों के लिए रास्ता बनाने के लिए गोलाबारी को रोकने के लिए कहा। प्रधानमंत्री के अनुरोध पर रूसी सेना ने गोलाबारी रोक दी और हमारे लोग सुरक्षित वतन लौट सके।’

मीडिया में आई खबर के अनुसार, विदेश मंत्री ने एक अन्य घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक और महत्वपूर्ण घटना आठ मार्च को हुई। यूक्रेन, रूस और मिलिशिया के बीच लड़ाई चल रही थी। हमारे छात्र उस क्षेत्र को छोड़ना चाहते थे और हमने संघर्ष को रोकने की कोशिश की। लेकिन, हमारे प्रयास सफल नहीं हो रहे थे। जैसे ही हमारे छात्र बस पर सवार होते वैसे ही फायरिंग शुरू हो जाती। फिर छात्रों को वापस अपनी जगह लौटना पड़ता। इसलिए हम यह समस्या लेकर प्रधानमंत्री के पास गए और उनसे छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए कहा। हमने सुझाव दिया कि दिल्ली से कुछ अधिकारियों को वहां जाना चाहिए और छात्रों से बात करनी चाहिए। तब पीएम मोदी ने पुतिन और यू्क्रेनी राष्ट्रपति जेंलेस्की से फोन पर बात की और अपने छात्रों के लिए रास्ता बनाया। गोलीबारी रोकी गई और हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित रास्ता बनाया गया।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, जयशंकर ने लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदान करने वाले लोगों को अपने संदेश में कहा, ‘मुझे आज भी याद है जब उन्होंने पहली बार मतदान किया। आपातकाल के बाद 1977 में वो पहला चुनाव था। मुझे आज भी याद है और हम उस वक्त कॉलेज में थे। हमने अपना मन बना लिया था और मुझे लगता है कि आप लोगों ने भी अपना मन बना लिया होगा।’

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंटरव्यू के दौरान जयशंकर ने अपनी सबसे बड़ी कूटनीतिक चुनौती पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जी -20 शिखर सम्मेलन में भारत पश्चिम और रूस को एक साथ लाने में कैसे कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन में संकट एक ज्वलंत मुद्दा था। हमारा मुख्य मकसद था सभी देशों को एक मंच पर लाया जाए। अब सबसे बड़ी समस्या थी रूस और पश्चिम को एक साथ मंच पर लाना। पश्चिम और रूस के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं और चीन का झुकाव रूस की तरफ है। हम किसी भी कीमत पर जी 20 को सफल बनाना चाहते थे। हमारे लिए शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले के दो दिन बेहद तनावपूर्ण थे। हम दो से तीन दिन तक नहीं सोए और लगातार बात करके सम्मेलन को सफल बनाने की कोशिश कर रहे थे और हमने इसमें सफलता भी हासिल की।

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