मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस से निष्काषित संजय निरुपम करीब दो दशक बाद फिर से अपनी पहली पार्टी शिवसेना में शामिल हो सकते हैं। शिवसेना की अध्यक्षता फिलहाल एकनाथ शिंदे कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक के बाद इसका ऐलान किया है। इस बैठक में निरुपम भी मौजूद थे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रुपम 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2009 के चुनावों में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट जीती, उस समय उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता राम नाइक को एक करीबी मुकाबले में हराया। उन्होंने पिछले 19 वर्षों में कांग्रेस पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया और अनबन के बाद पार्टी से बाहर होने से पहले कांग्रेस की मुंबई शहर इकाई का नेतृत्व भी किया।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने पिछले महीने निरुपम को ‘अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों’ के लिए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। उससे कुछ दिनों पहले उन्होंने मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट पर पार्टी को फैसला लेने के लिए ‘एक सप्ताह का अल्टीमेटम’ दिया था। वे इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को शिवसेना के पदाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘संजय निरुपम जल्द ही शिवसेना में शामिल होंगे। बैठक के दौरान निरूपम भी मौजूद थे, जिसे शिंदे ने शिष्टाचार भेंट बताया। इस बीच, शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंबई में दो रैलियां करने की संभावना है। मुंबई में 20 मई को मतदान होना है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिंदे ने विश्वास जताया कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन मुंबई की सभी छह लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगा। यह बैठक मुंबई दक्षिण, मुंबई उत्तर पश्चिम और मुंबई दक्षिण मध्य निर्वाचन क्षेत्रों के पदाधिकारियों के साथ हुई जहां शिवसेना के उम्मीदवार यामिनी जाधव, रवींद्र वायकर और राहुल शेवाले चुनाव मैदान में हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, कहा जा रहा है कि निरुपम कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन एमवीए सहयोगियों के बीच सीट-बंटवारे के समझौते के तहत यह सीट शिवसेना (यूबीटी) की झोली में चली गई। मूल रूप से बिहार के रहने वाले निरुपम ने 1990 के दशक में पत्रकारिता के जरिए राजनीति में प्रवेश किया था। वह अविभाजित शिवसेना के हिंदी मुखपत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादक बने। उनके काम से प्रभावित होकर शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें 1996 में राज्यसभा भेजा। निरुपम उस समय शिवसेना के फायरब्रांड चेहरे के रूप में उभरे। उस समय शिवसेना मुंबई के उत्तर भारतीय मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। हालांकि, उन्हें तब झटका लगा जब 2005 में उन्हें राज्यसभा सदस्य का पद छोड़ने के लिए कहा गया।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, बाद में मतभेद सामने आए, जिसके बाद 2005 में निरुपम ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 2009 में राम नाइक को हराकर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मुंबई उत्तर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। हालांकि, 2014 में, उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के गोपाल शेट्टी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, निरुपम ने 2017 के मुंबई नगर निकाय चुनावों में पार्टी की हार के बाद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, निरुपम ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में वैचारिक रूप से असंगत कांग्रेस और शिवसेना (अविभाजित) के त्रिपक्षीय महा विकास अघाड़ी के गठन का विरोध किया था। धीरे-धीरे कांग्रेस नेतृत्व से उनकी असहमति बढ़ती गई, परिणामस्वरूप पिछले महीने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
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