Manipur: जिरिबाम की हिंसा पड़ोसी राज्य तक पहुंची; सैकड़ों लोगों के शरण लेने पर असम में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

0
94
Manipur: जिरिबाम की हिंसा पड़ोसी राज्य तक पहुंची; सैकड़ों लोगों के शरण लेने पर असम में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मणिपुर हिंसा को नियंत्रित करते सुरक्षा बल (सांकेतिक तस्वीर) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मणिपुर में हिंसा की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में जिरिबाम जिले में हिंसा भड़क गई थी। ताजा हिंसा के मद्देनजर पड़ोसी राज्य असम में रविवार को अंतरराज्यीय सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई। खासकर कछार जिले के लखीपुर इलाके में भारी बल तैनात किया गया। बता दें, हालिया हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों को अपने घरों को छोड़कर असम में शरण लेना पड़ा।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 59 वर्षीय मैतेई किसान सोइबम शरतकुमार गुरुवार की सुबह से ही अपने फार्म से लापता थे। बाद में उनका शव बरामद किया गया। उनके शरीर पर घाव के निशान भी पाए गए थे। शव मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने जिरिबाम पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन करना शुरू किया। लोगों ने चुनाव के दौरान के मद्देनजर उनसे ली गई उनकी लाइसेंसी बंदूकें चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें वापस करने की मांग की। प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से शांति बरतने की अपील की। मणिपुर में पिछले साल से मई से जारी हिंसा से अब तक जिरिबाम अप्रभावित रहा है। यहां भी मैतेई, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, इतना ही नहीं, हिंसा से बिगड़ते हालात को देखते हुए जिरिबाम जिला मजिस्ट्रेट को कर्फ्यू लगाना पड़ा। यह हिंसा मणिपुर से असम तक पहुंच गई। अलग-अलग जातीय से जुड़े करीब 600 लोग कछार जिले के लखीपुर भाग गए। इन लोगों ने राज्य में भड़की हिंसा से बचने की उम्मीद में पड़ोसी असम में रह रहे रिश्तेदारों के पास शरण ली।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, असम में बड़ी संख्या में घुसपैठ रोकने के लिए यहां की पुलिस ने सुरक्षा उपायों को काफी बढ़ा दिया है। इसी क्रम में असम-मणिपुर सीमा पर विशेष कमांडो इकाइयां तैनात की गई हैं। व्यवस्था बनाए रखने तथा स्थानीय आबादी को आश्वस्त करने के लिए नियमित गश्त शुरू की गई है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, कछार के पुलिस अधीक्षक नुमाल महत्ता ने कहा, ‘मणिपुर के जिरिबाम में हुई हिंसा की घटनाओं के बाद हमने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने विशेष कमांडो बल सहित पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं। वे नियमित गश्त कर रहे हैं और लखीपुर में लोग शांतिपूर्वक रह रहे हैं। सीमा के दूसरी ओर हिंसा भड़कने के बाद करीब 600 लोगों ने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे राज्य में ऐसी घटनाएं न हों।’

मीडिया सूत्रों के अनुसार, महत्ता ने पुलिस और स्थानीय समुदाय के बीच तालमेल की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘जनता बहुत सहयोगी रही है। हमने लखीपुर में एक शांति समिति गठित की है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यदि कोई शांतिपूर्ण माहौल को अस्थिर करने का प्रयास करता है, तो हम उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। मुख्यमंत्री ने हमें पड़ोसी राज्य से हिंसा से बचने के लिए यहां आने वाले लोगों को आश्रय देने का निर्देश दिया है, लेकिन सही दस्तावेजों और जानकारी के आधार पर यहां आए लोगों की मदद की जाएगी।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मणिपुर में पिछले एक साल से ही हिंसा जारी है। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi

Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here