मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंगलवार को भारत-अफ्रीका संबंधों को बहुत गहरा बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने अफ्रीका में अपने राजनयिक पदचिह्नों (डिप्लोमेटिक फुटप्रिंट) का विस्तार किया है और उस महाद्वीप में भारतीय मिशनों की कुल संख्या अब 45 हो गई है। जयशंकर अफ्रीका दिवस मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जयशंकर ने यह भी कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत अफ्रीका को एक स्वभाविक साझेदार के रूप में देखता है। उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि आज अफ्रीका बहुत तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ये मानव सभ्यता का उद्गम स्थल बनने से लेकर भविष्य की भूमि बनने जा रहा है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री ने कहा कि यह सबसे युवा आबादी वाला ऐसा महाद्वीप है, जहां विशाल प्राकृतिक संसाधन हैं। उसकी क्षमताएं बढ़ रही हैं। बाजार बढ़ रहे हैं और महत्वकांक्षाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, दुनिया में सबसे अधिक आबादी और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत अफ्रीका को अपने स्वाभाविक साझेदार के रूप में देखता है। मंत्री ने कहा कि भारत-अफ्रीका संबंधों की जड़े बहुत गहरी हैं और ये हमें वापस इतिहास में ले जाती हैं। उन्होंने कहा, जब हम 1963 में अफ्रीकी एकता संगठन की स्थापना के अवसर पर एकत्रित हुए हैं, तो मैं अपनी ऐतिहासिक एकजुटता जाहिर करता हूं। अपने साझा हितों पर जोर देता हूं और अपनी साझा आकांक्षाओं को दोहराता हूं। अफ्रीका दिवस 1963 में अफ्रीकी एकता संगठन की स्थापना की याद दिलाता है। जयशंकर ने कहा, अफ्रीका के साथ हमारे संबंधों में लोगों के बीच संबंध महत्वपूर्ण आयाम हैं। हमने 33 अफ्रीकी देशों को ई-वीजा सुविधाएं प्रदान की हैं। हमने 16 नए राजनयिक मिशन शुरू करके अफ्रीका में अपने राजनयिक पदचिह्नों का विस्तार किया है, जिससे महाद्वीप में भारतीय मिशनों की कुल संख्या 45 हो गई है।
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