मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को 51 वर्षों के बाद अमेरिका का पहला चंद्र लैंडर चंद्रमा के सफर पर रवाना हुआ था, जो अब विफल होने की कगार पर है। मीडिया की माने तो मिशन से जुड़े लोगों ने स्वीकार किया है कि ईंधन की गंभीर हानि के बाद चंद्रमा पर एक ऐतिहासिक प्राइवेट अमेरिकी मिशन विफल हो जाएगा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लैंडर को एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलाजी कंपनी ने बनाया है। सोमवार को लैंडर के साथ यूनाइटेड लांच अलायंस के राकेट वल्कन ने फ्लोरिडा के केप केनावरल स्पेस फोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी। इस लैंडर को 23 फरवरी को चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग करनी थी। लेकिन उड़ान भरने के लगभग सात घंटे बाद लैंडर में तकनीकी खामी आने की सूचना मिली थी।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, लैंडर में तकनीकी खामी आने के बीद एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलाजी ने अपने एक बयान में कहा था कि वो पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। इस बीच पता चला था कि राकेट के इंजन में खराबी आ गई है। इससे मिशन के विफल होने का खतरा बढ़ गया था। जिसके बाद अब कंपनी ने साफ कर दिया है कि लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोई संभावना नहीं है।
मीडिया की माने तो जानकारी के मुताबिक, रॉकेट में लगभग 40 घंटे का ईंधन ही शेष बचा है। अमेरिका के इस प्राइवेट चंद्र मिशन के लिए नासा ने कंपनी को 100 मिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान किया था। अपने एक बयान में एस्ट्रोबोटिक के मुख्य कार्यकारी जान थार्नटन ने कहा था कि हम चंद्रमा की ओर जा रहे हैं! यदि यह मिशन सफल रहा, तो प्राइवेट कंपनी द्वारा चंद्रमा पर पहली साफ्ट लैंडिंग भी होगी।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इससे पहले अमेरिका ने आखिरी बार चंद्रमा पर लैंडिंग मिशन दिसंबर 1972 में लांच किया था। अपोलो 17 के जीन सर्नन और हैरिसन श्मिट चंद्रमा पर चहलकदमी करने वाले 11वें और 12वें व्यक्ति बने थे।
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