मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक परमारकालीन भोजशाला में शुक्रवार (22 मार्च) की सुबह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की टीम वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे को लेकर एएसआइ, जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया था। सर्वे के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के लिए परिसर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात है।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, उसने कहा, सुनवाई के बाद कोर्ट ने एएसआइ को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। टीम को छह सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था। आदेश के 11 दिन बाद सर्वे शुरू हो रहा है। ऐसे में एएसआइ को सर्वे पूरा करने के लिए सिर्फ साढ़े चार सप्ताह मिलेंगे। उसे 29 अप्रैल को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। 11 मार्च 2024 को दिए आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर एएसआइ को लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए उसे कुछ अन्य जांच करनी है तो वह परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें कर सकता है। एएसआइ भोजशाला स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवारें, खंभों, फर्श की जांच करेगा। जांच में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। परिसर स्थित हर वस्तु की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि वह कितनी पुरानी है।
जानकारी के के लिए बता दे, भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं, जबकि अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। संगठन की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कोर्ट में कहा था कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं, वह साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।
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