मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस देश का आम आदमी महान होता है, वह देश महान होता है और प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सामाजिक स्तर पर सुधार की जरूरत है। किसी राष्ट्र का उत्थान और पतन समाज की विचार प्रक्रिया और मूल्यों से जुड़ा होता है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुंबई के विले पार्ले में लोकमान्य सेवा संघ के समारोह में भागवत ने कहा, स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने 1925 में आरएसएस की स्थापना करने वाले केशव हेडगेवार को उनके शुरुआती जीवन से प्रेरित किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का उदाहरण देते हुए, भागवत ने कहा कि वह जर्मनी के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए लगभग तैयार थे, लेकिन फिर उन्होंने लोगों की बात सुनी और महसूस किया कि वे रसोई की चाकू से भी जर्मनी से जंग लड़ने को तैयार थे।
इसके बाद चर्चिल ने ब्रिटिश संसद में अपना सबसे प्रसिद्ध भाषण दिया। इससे लोगों का मनोबल बढ़ा और बाद में ब्रिटेन ने युद्ध जीत लिया। उन्होंने इसका श्रेय देश के लोगों को देते हुए कहा कि युद्ध के दौरान वे देशवासियों की ओर से दहाड़ लगा रहे थे। असली शेर तो ब्रिटेन की जनता है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, भागवत ने कहा, सामाजिक परिवर्तन में प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने अत्यधिक भौतिकवादी जीवनशैली के समाज पर कब्जा करने और पारिवारिक बंधनों को प्रभावित करने पर चिंता जताई। नई पीढ़ी शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप के बारे में कुछ नहीं जानती।
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