Mumbai: थाईलैंड में आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर 25 भारतीयों को साइबर धोखाधड़ी में धकेला, दो आरोपी गिरफ्तार

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Mumbai: थाईलैंड में आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर 25 भारतीयों को साइबर धोखाधड़ी में धकेला, दो आरोपी गिरफ्तार
(सांकेतिक तस्वीर) Image Source : Amar Ujala

एक अच्छा वेतन और विदेश में काम करने का मौका अगर किसी भी युवा को मिले तो वह इसे क्यों गवाएगा, लेकिन नौकरी और उच्च वेतन का झांसा देकर जुर्म की दुनिया में धकेलने वाले दलाल भी अपने पैर जमा रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां भारतीयों को जबरन गलत काम करवाने के लिए परदेस में फंसा दिया जाता है। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसी कड़ी में मुंबई पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया है।

मीडिया की माने तो आधिकारिक जानकारी के अनुसार पकड़े गए दोनों युवकों पर आरोप है कि वह 25 से अधिक भारतीयों को थाईलैंड में उच्च वेतन वाली नौकरियों का झांसा देकर उन्हें लाओस में कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर करते थे। एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि दोनों युवक यूरोप, अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों के लोगों को भी धोखा दे चुके हैं।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, सूचना के मुताबिक पकड़े गए दोनों एजेंटों में से एक का नाम जेरी जैकब (46), जिसे पुलिस ने रैकेट का सरगना बताया। वहीं दूसरे सहयोगी गॉडफ्रे अल्वारेस (39) की गिरफ्तारी सिद्धार्थ यादव (23) नामक व्यक्ति की शिकायत पर हुई। इसके अलावा 23 मार्च को दर्ज मामले में सनी नाम के एक अन्य एजेंट का भी नाम शामिल है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, नौकरी सिंडिकेट के शिकार ठाणे निवासी सिद्धार्थ यादव और तीन अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देश में भारतीय दूतावास की मदद से लाओस से लौटने में कामयाब रहे। पीड़ित सिद्धार्थ ने पुलिस को बताया कि वह अच्छा पैसा कमाने की उम्मीद में दिसंबर 2022 में थाईलैंड गया था, लेकिन उसे थाईलैंड सीमा के पास लाओस में एक जगह ले जाया गया।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, आरोपी जैकब, अल्वारेस और सनी ने कथित तौर पर यादव और लगभग दो दर्जन भारतीयों को कॉल सेंटरों में काम कराया। तीनों आरोपियों ने फर्जी सोशल मीडिया खाते बना रखे थे जिनके माध्यम से यूरोप, अमेरिका और कनाडा में भी लोगों को धोखा दे चुके हैं।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, यादव ने अपनी शिकायत में कहा कि कॉल सेंटरों ने मामूली कारण बताकर कर्मचारियों पर भारी जुर्माना लगाया। शिकायतकर्ता ने कहा कि जब वह खुद और तीन अन्य लोग अपनी वापसी के लिए लाओस में भारतीय दूतावास पहुंचे तो आरोपियों ने उनकी पिटाई की। अधिकारी ने कहा कि भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद, स्थानीय पुलिस ने यादव सहित युवाओं को बचाया।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आव्रजन अधिनियम के तहत आपराधिक धमकी, गलत तरीके से कारावास, तस्करी और धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपी अपने परिवार के सदस्यों से शहर में मिलने आए थे, उसी दौरान सोमवार शाम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं, पूछताछ के दौरान पता चला कि वे कुछ दिनों के भीतर देश से भागने की कोशिश कर रहे थे।

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस उपायुक्त विशाल ठाकुर ने कहा, अपराध शाखा टीम को जानकारी मिली कि आरोपी व्यक्ति पिछले चार वर्षों से जॉब रैकेट चला रहे थे। उन्होंने कहा, लाओस से लौटने के बाद अब तक 10 से अधिक पीड़ितों ने मुंबई पुलिस से संपर्क किया है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, एक अन्य अधिकारी के मुताबिक उन्हें संदेह है कि गिरोह के सदस्यों ने पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में नौकरी का लालच देकर देशभर में 100 से अधिक बेरोजगार युवाओं को ठगा है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, फिलहाल, गिरफ्तार दोनों आरोपियों को मंगलवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 30 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि आगे की जांच जारी है।

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