मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल में 16 नए मंत्रियों को शामिल किया। पूर्व गुरिल्ला नेता प्रचंड ने हाल ही में नेपाली कांग्रेस का साथ छोड़कर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ नया गठबंधन बनाया, जिसके बाद तीन मंत्रियों ने पद की शपथ ली थी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रचंड ने नेकपा (माओवादी केंद्र) से चार, नेकपा (एकीकृत माओवादी लेनिनवादी) से सात, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से तीन और नेकपा (एकीकृत सोशलिस्ट) से दो को मंत्री बनाया। राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतल निवास’ में एक समारोह में नवनियुक्त मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल)
रघुवीर महासेठ, उप प्रधान मंत्री और भौतिक संरचना मंत्री
पदम गिरी, विधि न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री
हरि उप्रेती रक्षा मंत्री
भगवती चौधरी, महिला वालवालिका मंत्री
राजेन्द्र राय, जल मंत्री
दामोदर भंडारी, उद्योग मंत्री
ज्वालाकुमारी साह, कृषि मंत्री
बलराम अधिकारी, भूमि प्रबंधन मंत्री
माओवादी केन्द्र
नारायणकाजी श्रेष्ठ, उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री
वर्षमान पुन, अर्थ मंत्री
शक्ति बस्नेत, ऊर्जा मंत्री
रेखा शर्मा, संचार मंत्री
हित बहादुर तामांग
राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी
रवि लामिछाने, उप प्रधान मंत्री
मीडिया सूत्रों के अनुसार, सोमवार को नियुक्त किए गए तीनों मंत्रियों को बुधवार को विभाग आवंटित किए गए। सोमवार को नया गठबंधन बनने के बाद चार राजनीतिक दल एक आठ सूत्रीय समझौते पर पहुंचे। चारों दलों के पास 142 सीट की साझा ताकत है, जो साधारण बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त है। गठबधंन में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री को तीस दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होता है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाली कांग्रेस के समर्थन से तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने थे। उनकी नेकपा (माओवादी केंद्र) प्रतिनिधि सभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने के बाद प्रचंड ने ओली से हाथ मिला लिया, जिन्हें प्रचंड का सबसे बड़ा आलोचक माना जाता था।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, पिछले साल नेकपा (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी दल के उम्मीदवार का समर्थन करने को लेकर विवाद के बाद प्रचंड सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, नेकपा (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) को 78 सीट मिली, जबकि माओवादी केंद्र को 32 सीट मिली हैं। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी और नेकपा (एकीकृत समाजवादी) ने क्रमश: 20, 14, 12 और 10 सीट जीतीं। 2017 के चुनाव में प्रचंड और ओली ने अपनी पार्टियों का विलय कर लिया और आसानी से बहुमत हासिल किया।
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