अमेठी : राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर 7 वर्ष पहले दो बाईपास बनाने के लिए ली गई जमीनों के मुआवजे में करीबन 380 करोड़ का घोटाला सामने आया है। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 2016 में मुसाफिरखाना और जगदीशपुर में बाईपास बनाने के लिए किसानों से 134 हेक्टेयर भूमि ली गई थी। राजस्व अधिकारियों ने कृषि योग्य भूमि को नैशनल हाइवे के सर्किल रेट में बदल दिया। इस एवज में किसानों से अतिरिक्त पैसे लिए गए और उन्हें मुआवजा बांट दिया गया।
मीडिया सूत्रों के हवाले से सामने आई खबर के अनुसार, अमेठी से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-56 से जुड़े दो बाईपास के बहाने किए गए करीबन 3 अरब 84 करोड़ रुपये के घोटाले में मुसाफिरखाना तहसील में डिप्टी कलेक्टर रहे कई अफसर बुरी तरह फंस गए हैं। इन अफसरों को जमीन अधिग्रहण में तीन गुना से अधिक मुआवजा बांटने का दोषी पाया गाया है। मीडिया की माने तो, जांच टीम द्वारा पाया गया है कि, पूरा घोटाला एनएचएआई के अफसरों के साथ मिलकर किया गया। पूरे मामले पर अमेठी जिला अधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने 4 अधिकारियों की टीम बनाकर जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। डीएम की रिपोर्ट शासन को भेजने के बाद सभी डिप्टी कलेक्टरों की धड़कने भी बढ़ गई है।
केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद साल 2014 में एनएच-56 के चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। निर्माण से पहले एनएचएआई के अनुरोध पर राजस्व विभाग ने सड़क चौड़ीकरण के अलावा जगदीशपुर व मुसाफिरखाना में कस्बे में लोगों को जाम से राहत देने के लिए शहर के बाहर बाईपास का सर्वे किया। मीडिया में आई जानकारी के अनुसार, सर्वे के बाद अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से लगी हुई जमीन का सर्किल रेट कई गुना अधिक के बराबर बना दिया। मुआवजा निर्धारण व वितरण में गड़बड़ी के सामने आने के बाद अमेठी जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच कराई तो 384 करोड़ का घोटाला सामने आया। डीएम राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि जांच कमिटी अपना काम कर रही है, रिपोर्ट आने पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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