मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने प्रत्येक राज्य में एक ‘मानव तस्करी विरोधी नोडल अधिकारी’ रखने की सिफारिश की है। एनएचआरसी ने यह भी कहा कि यह अधिकारी राज्य सरकार के सचिव या पुलिस महानिरीक्षक के पद से नीचे का नहीं होना चाहिए।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आयोग ने ये सिफारिश अक्तूबर 2022 में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद की, जिसमें लड़कियों को राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में स्टांप पेपर पर बेचने का आरोप था। जिन्हें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली और विदेशों में भेजा जा रहा था। जहां उन्हें शारीरिक शोषण, यातना और यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, अधिकार पैनल ने कहा कि आयोग ने राजस्थान से तस्करी करके लाई गई और वेश्यावृत्ति में धकेली गई मुंबई बार की महिला नर्तकियों की दुर्दशा पर भी ध्यान दिया है। राजस्थान के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नृत्य में लड़कियों की दुर्दशा का पता लगाने के लिए मुंबई में जांच के लिए एक टीम भेजने का निर्देश दिया है, जिसका नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक स्तर से नीचे का न हो। वहीं, आयोग ने इस संबंध में डीजीपी, महाराष्ट्र से राजस्थान पुलिस को मदद देने के लिए कहा है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। लड़कियों के मूल स्थानों पर उनकी वापसी सुनिश्चित की जा सके और राज्य और जिला स्तरीय समितियां जारी निर्देशों के अनुसार उनका पुनर्वास सुनिश्चित करें।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, एनएचआरसी ने पाया कि हाल के दिनों में कुछ समुदायों में लड़कियों को बेचने की प्रथा अभी भी निरंतर जारी है। इससे जुड़े मामलों के पंजीकरण से लगता है कि यह प्रथा बिना किसी डर के प्रचलित है। कहा कि इस पर अंकुश लगाने के लिए सभी हितधारकों को कड़े कदम उठाने चाहिए। इस संबंध में आयोग ने पिछले दिनों अपने विशेष प्रतिवेदक के अलावा राजस्थान के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार ने घटना की पुष्टि की। कहा कि 23 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। तस्करी की शिकार सात लड़कियों को क्रमशः नारी निकेतन बालिका सुधार गृह, अजमेर और नाटी निकेतन, अजमेर में पुनर्वासित किया गया है।
मीडिया की माने तो विशेष प्रतिवेदक की रिपोर्ट से, आयोग ने कहा कि स्टांप पेपर पर महिलाओं को बेचना राजस्थान के पुरुष-प्रधान कंजर समुदाय में एक ‘प्रचलित प्रथा’ है। लड़कियों की तस्करी की अनैतिक प्रथा विभिन्न हिस्सों में रहने वाले कुछ समुदायों में व्याप्त है। इसलिए, इस खतरे को रोकने के लिए, आयोग ने सिफारिश की है कि सभी राज्यों में एक मानव तस्करी विरोधी नोडल अधिकारी होना चाहिए, जो जिला मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (डीएएचटीयू) और संबंधित राज्य सरकार के माध्यम से प्रभावी कदम और उपाय करके सरकार के साथ समन्वय करेगा।
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