मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत में बीते छह वर्षों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कैशलेस भुगतान में तेज उछाल देखा गया है। 2018 में यह 20.4 फीसदी था और 2024 में बढ़कर 58.1 फीसदी हो गया। आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली कंपनी ग्लोबलडेटा ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। नकद हस्तांतरण के अलावा अन्य भुगतान विकल्पों में यूपीआई, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड शामिल हैं। रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि वैकल्पिक भुगतान में उछाल के लिए मोबाइल वॉलेट का व्यापक इस्तेमाल जिम्मेदार है। यह यूपीआई द्वारा संचालित होता है और क्यूआर कोड को स्कैन करके रियल टाइम में मोबाइल भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में मोबाइल और डिजिटल वॉलेट जैसे भुगतान मंचों ने नकद और बैंक हस्तांतरण (ट्रांसफर) के पारंपरिक तरीकों को पूरी तरीके से बदल दिया है। रिपोर्ट में आगे इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस तरह के वैकल्पिक भुगतान मंच चीन और भारत जैसे देशों में पहले लोकप्रिय हैं और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों में भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। चीन पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में कुल कैशलेस भुगतान का करीब दो-तिहाई हिस्से का नेतृत्व करता है। हालांकि, भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है। साल 2018 से भारत में वैकल्पिक भुगतान के मंचों के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है। कंपनी की रिपोर्ट से पता चलता है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी जा रही है। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के भीतर चीन और भारत में अन्य देशों की तुलना में वैकल्पिक भुगतान के मंचों को अपनाने की दर अधिक है। कंपनी के वित्तीय सेवा उपभोक्ता सर्वेक्षण-2023 के मुताबिक, चीन में 65 फीसदी से ज्यादा कैशलेस भुगतान के लिए वैकल्पिक मंच जिम्मेदार हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार है। 2018 में 53.4 फीसदी भुगतान के लिए जिम्मेदार था।
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