Pakistan: पाकिस्तान बदलेगा प्रथम महिला की परिभाषा, राष्ट्रपति की बेटी को दिया जा सकता है पद; जानें पूरा मामला

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Pakistan: पाकिस्तान बदलेगा प्रथम महिला की परिभाषा, राष्ट्रपति की बेटी को दिया जा सकता है पद; जानें पूरा मामला
(आसिफा भुट्टो जरदारी) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश की फर्स्ट लेडी (प्रथम महिला) शब्द को राष्ट्रपति की पत्नी के तौर पर जाना जाता है। लेकिन भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान इसकी परिभाषा को ही बदलने जा रहा है। जी हां…पाकिस्तान में यह दर्जा आसिफ अली जरदारी की बेटी आसिफा भुट्टो जरदारी को दिया जा सकता है।

मीडिया की माने तो दरअसल में पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर रविवार को आसिफ अली जरदारी ने शपथ ली, लेकिन लोगों के मन का यह सवाल है कि पाकिस्तान की प्रथम महिला कौन बनने जा रही है। पाकिस्तान मीडिया ने सोमवार को बताया कि इस्लामाबाद में राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जरदारी के साथ उनकी सबसे छोटी बेटी आसिफा भुट्टो जरदारी भी थी।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जरदारी की सबसे बड़ी बेटी बख्तावर भुट्टो जरदारी ने रविवार को सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर पोस्ट साझा किया, जिसमें बख्तारवर भुट्टो जरदारी ने अपनी बहन आसिफा को टैग किया। उन्होंने लिखा, शपथ ग्रहण समारोह में अपने पिता के साथ देखा जाना सुखद है। गौरतलब है कि प्रथम महिला राष्ट्रपति की पत्नी होती है। हालांकि, इस मामले में राष्ट्रपति जरदारी अपनी पत्नी, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के 2007 में मौत होने के बाद विधुर हैं।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके पहले कार्यकाल 2008 से 2013 तक के दौरान प्रथम महिला का पद भी खाली रहा। हालांकि अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। आसिफा आठ फरवरी के चुनावों से पहले पार्टी के चुनावी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थीं और उन्हें अपने भाई बिलावल भुट्टो जरदारी, जो उस समय पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, के लिए समर्थन मांगने के लिए कई रैलियों की मेजबानी करती हुई नजर आई थी।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, आसिफा ने 30 नवंबर, 2020 को मुल्तान में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की रैली में अपनी राजनीतिक शुरुआत की। इसके अलावा, अतीत में, मदार-ए-मिल्लत फातिमा जिन्ना भी आधिकारिक कार्यक्रमों सहित विभिन्न अवसरों पर कभी-कभी अपने भाई कायदे आजम के साथ जाते थे। वह एक विधुर भी थे। विदेशों में ऐसे कई उदाहरण हैं जब राष्ट्रपतियों ने, जो विधुर थे, अपनी बेटियों, बहनों और यहां तक कि भतीजियों को भी अपनी प्रथम महिला बनने के लिए कहा गया था।

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