मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मई बुलेटिन के अनुसार भारत ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बढ़ती समग्र मांग और गैर-खाद्य खर्च के कारण लंबे समय से प्रतीक्षित उड़ान के करीब है। बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ पर प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण नाजुक होता जा रहा है क्योंकि महंगाई पर नियंत्रण घट रहा है। वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम फिर बढ़ रहा है। बुलेटिन के अनुसार वैश्विक स्तर पर पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव आया है, क्योंकि घबराए हुए निवेशक जोखिम से दूर हो गए हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह लेख रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने तैयार किया है। लेख में कहा गया है कि इस बात की उम्मीद बढ़ रही है कि भारत लंबे समय से प्रतीक्षित अर्थव्यवस्था की उड़ान के दहलीज पर है। हालिया संकेत कुल मांग की गति तेज होने की ओर इशारा कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि कम से कम दो साल में पहली बार फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) की ग्रामीण मांग ने शहरी बाजारों को पीछे छोड़ दिया है। एफएमसीजी की बिक्री में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दिखी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दिखी। शहरी क्षेत्रों में यह वृद्धि 5.7 प्रतिशत रही।
मीडिया की माने तो आरबीआई की बुलेटिन के अनुसार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बढ़ती मांग और गैर-खाद्य खर्च के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मई बुलेटिन में प्रकाशित अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक लेख में कहा गया है कि आपूर्ति शृंखला को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक विपरीत परिस्थितियों के सामने भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। आर्थिक गतिविधि सूचकांक (ईएआई) के अनुसार, अप्रैल में गतिविधि में उछाल आया और शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि 2024-25 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि 7.5 प्रतिशत के करीब रहने की उम्मीद है।
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