मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत का बाहरी कर्ज मार्च, 2024 तक बढ़कर 663.8 अरब डॉलर पहुंच गया है। मार्च, 2023 की तुलना में यह कर्ज 39.7 अरब डॉलर बढ़ा है। इसके बावजूद 2023-24 में भारत का बाहरी कर्ज अनुपात मामूली सुधरकर जीडीपी के 18.7 फीसदी पर आ गया, जो इसका 13 साल का निचला स्तर है। 2022-23 में यह अनुपात 19 फीसदी रहा था। आरबीआई ने बृहस्पतिवार को आंकड़े जारी कर बताया कि अगर रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण हुए मूल्यांकन प्रभाव को हटा दें तो एक साल में भारत का बाहरी कर्ज 39.7 अरब डॉलर की जगह 48.4 अरब डॉलर बढ़ा है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च, 2024 तक देश के कुल बाहरी कर्ज में लोन की हिस्सेदारी सर्वाधिक 33.4 फीसदी रही। इस अवधि में सबसे ज्यादा 58.8 फीसदी बाहरी कर्ज अमेरिकी डॉलर में लिए गए। भारतीय रुपये में 31.5 फीसदी कर्ज लिया गया। वहीं, येन की हिस्सेदारी 5.8 फीसदी, सिंगापुर डॉलर की 5.4 फीसदी और यूरो की 2.8 फीसदी रही। आंकड़ों के मुताबिक, 18.7 फीसदी के बाहरी ऋण अनुपात में सरकार की हिस्सेदारी 4.2 फीसदी रही है, जबकि गैर-सरकारी क्षेत्रों का योगदान 14.5 फीसदी रहा है।
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