मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश के कलाकारों से एकजुट होने की अपील करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि वे अपनी कला का अभ्यास इस समझ के साथ करें कि यह समाज के कल्याण में क्या भूमिका निभा सकती है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भागवत रविवार को आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में आरएसएस संबद्ध ‘संस्कार भारती’ की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कलासाधक संगम के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कला का उद्देश्य समाज में संस्कार लाना, उसे सामंजस्यपूर्ण बनाना है। हमारा समाज ऐसा बने जो पूरी दुनिया को अपने उदाहरण देकर जीवन की शिक्षा दे सके। इसके लिए पूरे कला जगत को एकजुट होकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में ऐसा नहीं हो रहा है। कलाकार आज सामाजिक जीवन में इसकी वास्तविक भूमिका को समझे बिना ही अपनी कला का अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने उनसे समाज के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से ‘कार्यकर्ता’ के रूप में काम करने को कहा।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, संघ प्रमुख ने कहा कि ऐसे कई कलाकार हैं जो ईमानदारी से अपनी कला का अभ्यास कर रहे हैं लेकिन यह व्यक्तिगत नहीं होना चाहिए। यदि कला समाज उन्मुख है तो यह ‘अर्थहीन विवादों’ में नहीं उलझेगी या लोगों को विभाजित नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में लोग अपनी जीवन प्रणाली और प्रथाओं पर हमले का अनुभव कर रहे हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने अपने संबोधन में सनातन धर्म के अनुयायियों को संगठित करने में आदि शंकराचार्य की भूमिका को याद किया और मौजूदा भारत में इसी तरह की भूमिका निभाने पर आरएसएस की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र भक्ति (देशभक्ति) और देव भक्ति (भगवान के प्रति भक्ति) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कार्यक्रम में अयोध्या धाम के लिए भगवान राम की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज को भी सम्मानित किया गया।
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