कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो जिंदगी की सच्चाई से रुबरू करवाती हैं। राजेश खन्ना की फिल्म ‘आनंद’ का आइकॉनिक डायलॉग ‘जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं’ अक्सर सुनी जाती है। ये लाइन सीख देती है कि जीवन की तमाम मुश्किलों के बावजूद जिंदगी का आनंद कैसे उठाया जाए। काजोल स्टार ‘सलाम वेंकी’ भी कुछ ऐसी ही सीख देती है। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक मां को अगर अपने जिगर के टुकड़े के लिए इच्छा मृत्यु मांगनी पड़े तो सोच कर ही कलेजा दहज जाता है। साल 2005 में आई श्रीकांत मूर्ति के उपन्यास ‘द लास्ट हुर्रे’ पर आधारित फिल्म ‘सलाम वेंकी’ 24 साल के लड़के वेंकटेश की कहानी है। जो पल-पल अपने मौत की आहट महसूस करता है।
मीडिया की माने तो, हिंदी सिनेमा में कईं गंभीर बीमारियों पर फिल्में बन चुकी हैं, जो सकारात्मकता जगाने की कोशिश करती हैं। इनमें ‘गजनी’, ‘आनंद’, ‘ हिचकी’, ‘पीकू’, ‘तारे जमीन पर’ और ‘माय नेम इज खान’ जैसी फिल्में शामिल है। अब इस लिस्ट में फिल्म ‘सलाम वेंकी’ का नाम भी जुड़ गया है। यह फिल्म 9 दिसंबर यानी की आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। रेवती का इस फिल्म से बतौर डायरेक्टर डेब्यू है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, रेवती साउथ सिनेमा और बॉलीवुड का जाना- माना नाम है। वहीं काजोल इस फिल्म से लगभग 16 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रहीं हैं। फिल्म में कजोल और विशाल जेठवा मुख्य किरदार में हैं, इनके साथ राहुल बोस, राजीव खंडेलवाल, अहाना कुमरा और प्रकाश राज जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं।
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