मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस बात पर अफसोस जताया कि न्यायाधीशों द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के बावजूद उन पर कम काम करने के आरोप लगाए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि जज छुट्टियों के दौरान भी आधी रात को काम करते हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र की अवकाश पीठ ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही। दरअसल वरिष्ठ वकील और हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट की पीठ ने हेमंत सोरेन की याचिका पर फैसला सुनाने में दो महीने का समय लिया। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि बतौर जज काफी कोशिश करने के बावजूद हमें सुनने को मिलता है कि जज कुछ ही घंटे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को अपना होमवर्क भी करना होता है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, कपिल सिब्बल ने कहा फैसले में देरी का असर नागरिकों पर पड़ता है। यह स्वतंत्रता का मामला है और ये बेहद गलत है कि ये सब हाईकोर्ट के जज हैं। सिब्बल ने कहा कि ‘ये उच्च न्यायालयों में हर रोज हो रहा है। कोई भी हमारे मामले पर सुनवाई नहीं कर रहा है और न ही फैसले हो रहे हैं। लोग अपनी आजादी के भीख मांग रहे हैं। आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन यही सच्चाई है।’ कपिल सिब्बल की टिप्पणी पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि ‘छुट्टियों के दौरान भी जज आधी रात तक काम करते हैं, जो भी ये बातें फैला रहे हैं, वे प्रशासन का हिस्सा हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘केंद्र और राज्य सरकार की एक अपील की तय समय सीमा 60 या 90 दिन है। अधिकारी समय पर नहीं आते और वे कहते हैं कि हम काम कम करते हैं।’
#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi
Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें