मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव घोषणापत्रों में किए गए वादे चुनाव कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण नहीं मानी जाएंगी। सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कांग्रेस के एक उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती देने वाली चामराजपेट विधानसभा क्षेत्र के एक मतदाता की याचिका को खारिज कर दिया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय मदद देने की प्रतिबद्धता जताई थी। यह भ्रष्ट चुनावी आचरण के बराबर है। याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर ने कांग्रेस विधायक बी जेड जमीर अहमद खान के खिलाफ याचिका दायर की थी।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, पीठ ने कहा कि आपका तर्क है कि यह एक राजनीतिक दल द्वारा अपने घोषणापत्र में किए गए वादे, जो बड़े पैमाने पर जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, उस पार्टी के एक उम्मीदवार द्वारा भ्रष्ट आचरण की आएंगी यह दूर की बात है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमें ऐसे सवालों पर विस्तार से विचार करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए अपील खारिज की जाती है।
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