मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्रीलंका के विमानन मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा ने बुधवार को यहां कहा कि हंबनटोटा में घाटे में चल रहे मट्टाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के संचालन का काम अगले कुछ सप्ताह में भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम को सौंप दिया जायेगा। भारत-रूस के संयुक्त उद्यम को अप्रैल में दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में मट्टाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन सौंपा गया था। इस हवाई अड्डे का निर्माण चीनी कर्ज से चीनी कंपनियों ने किया था। डी सिल्वा ने संवाददाताओं से कहा कि घाटे में चल रहे मट्टाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भारत-रूस संयुक्त उद्यम को सौंपने के लिए अगले कुछ हफ्तों में कार्यवाही की जाएगी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत-रूस संयुक्त उद्यम को अप्रैल में दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में मट्टाला अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन सौंपा गया था। 209 मिलियन अमरीकी डॉलर की लागत वाली इस सुविधा को कभी उड़ानों की कमी के कारण ‘दुनिया का सबसे खाली हवाई अड्डा’ कहा जाता था। श्रीलंका के विमानन मंत्री डी सिल्वा ने पत्रकारों से कहा कि घाटे में चल रहे मट्टाला अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को भारत-रूस संयुक्त उद्यम को सौंपने के लिए अगले कुछ हफ्तों के दौरान कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले नौ जनवरी को हुई श्रीलंकाई कैबिनेट की बैठक में संभावित पक्षों द्वारा अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करने को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद पांच प्रस्ताव प्राप्त हुए और मंत्रिमंडल द्वारा नियुक्त परामर्शदात्री समिति ने भारत की शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 वर्ष की अवधि का प्रबंधन अनुबंध देने का निर्णय लिया था।
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