मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने सरकार से सितंबर में खत्म होने वाले चालू मार्केटिंग सीजन में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है। मिल मालिकों का मानना है कि सरप्लस चीनी के निर्यात से उनके पास नकदी आएगी, जिससे वे किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान कर सकने में सक्षम होंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मौजूदा 2023-24 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए चीनी निर्यात की अनुमति नहीं दी है। पिछले मार्केटिंग सीजन में चीनी मिलों को लगभग 60 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई थी। इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आइएसएमए) ने सोमवार को कहा कि अप्रैल, 2024 के अंत तक चीनी का उत्पादन लगभग 314 लाख टन तक पहुंच गया है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, कर्नाटक और तमिलनाडु में मिलों से 5-6 लाख टन के अतिरिक्त उत्पादन की उम्मीद है और इस तरह शुद्ध चीनी उत्पादन 320 लाख टन के करीब होने का अनुमान है। पिछले विपणन वर्ष में चीनी मिलों को लगभग 60 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई थी। इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि अप्रैल 2024 के अंत तक उत्पादन लगभग 314 लाख टन तक पहुंच गया है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार,1 अक्टूबर 2023 तक लगभग 56 लाख टन के शुरुआती स्टॉक और सीजन के लिए 285 लाख टन की अनुमानित घरेलू खपत को ध्यान में रखते हुए ISMA ने 30 सितंबर 2024 तक 91 लाख टन के काफी अधिक समापन स्टॉक का अनुमान लगाया है। एसोसिएशन को कई कारकों के कारण 2024-25 में मध्यम पेराई सत्र की भी उम्मीद है, जिसमें गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि की शीघ्र घोषणा, अनुकूल प्री-मानसून वर्षा और सामान्य से अधिक मानसून का संकेत देने वाले पूर्वानुमान शामिल हैं। इन कारकों से आने वाले वर्ष में और अधिक स्टॉक बढ़ने की उम्मीद है।
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