मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कंबोडिया के जंगलों में फिर बाघ की दहाड़ लौटाने में भारत मदद कर रहा है। दरअसल भारत नवंबर-दिसंबर तक कंबोडिया में चार बाघ भेज सकता है। अगर सब कुछ सही रहा तो कंबोडिया के जंगलों में भारतीय बाघों की दहाड़ सुनाई दे सकती है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भारत ने नवंबर 2022 में दुनिया के पहले ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ पुनर्वास’ के लिए नोम पेन्ह के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कंबोडिया, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों और कंबोडिया में भारत की राजदूत देवयानी खोबरागड़े ने कुछ दिन पहले एक ऑनलाइन बैठक में भाग लिया था। उन्होंने नवंबर-दिसंबर तक चार बाघों को कंबोडिया भेजने के प्रस्ताव पर चर्चा की। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है। एनटीसीए के सदस्य सचिव गोबिंद सागर भारद्वाज ने बताया, प्रस्ताव को लेकर कंबोडिया के अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत चल रही है। एनटीसीए ने उनसे एक विस्तृत कार्य योजना भेजने का अनुरोध किया है। इसकी जांच की जाएगी और तकनीकी समिति के समक्ष रखा जाएगा। विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के विशेषज्ञों के मुताबिक कंबोडिया में 2016 में बाघ लुप्त घोषित किए गए। अंतिम बार वहां 2007 में एक बाघ देखा गया था।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, कंबोडिया में शिकार, उनके रहने की जगहों के खत्म होने और अन्य कई कारणों के चलते बाघ विलुप्त हो गए। भारत ने कहा है कि बाघों को कंबोडिया भेजे जाने से पहले इन सभी बातों पर ध्यान दिया जाए और बाघों के लिए सुविधानजक हालात बनाए जाएं। भारत में साल 2022 में बाघों की संख्या 3,682 थी और ये दुनिया भर में बाघों की कुल जनसंख्या का 70 फीसदी से भी ज्यादा है। भारत सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी। आज भारत में 53 टाइगर रिजर्व हैं।
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