UBS की बात करें तो भारत में इसका परिचालन बहुत छोटे स्तर पर है। 2013 में यूबीएस ने भारत में मौजूद अपनी एकमात्र शाखा को बंद कर दिया था। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज ग्लोबलाइजेशन के दौर में दुनिया के किसी भी कोने में पनपा संकट सात समंदर पार दूसरे देश को प्रभावित कर सकता है। दुनिया के टेक्नोलॉजी सर्विसेस के हब भारत के लिए यह बात सही साबित हो रही है। स्विटजरलैंड के दो प्रमुख बैंकों UBS और क्रेडिट सुइस के बीच हुआ सौदा भारत में नौकरियों की बलि ले सकता है। मीडिया सूत्रों की मानें तो, भारत में इन बैंकों के टेक्नोलॉजी बैक ऑफिस में जल्द ही जॉब कट की घोषणा हो सकती है। इन बैक ऑफिस में इन बैंकों के 14,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। माना जा रहा है कि ये दोनों स्विस बैंक मर्जर के बाद अपने अलग अलग दफ्तरों को भी मर्ज करेंगे।
मीडिया में आई जानकारी के आधार पर, यूबीएस ग्रुप ने हाल ही में क्रेडिट सुइस बैंक को खरीदा है। यूबीएस और क्रेडिट सुइस ग्रुप के एक साथ मर्ज होने से करीबन 14000 लोगों की नौकरियां पर संकट आ सकता है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए भी खतरा मंडराने लगा है। क्योंकि यूबीएस क्रेडिट सुइस में केवल बेहतर कार्य करने वाले कर्मचारियों को ही रखने की कोशिश करेगा। मर्जर के बाद यूबीएस खुद को बचाने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों छंटनी कर सकती है।
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