मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन की सरकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) पर 1970 के दशक के संक्रमित रक्त घोटाला करने और मामले में लीपापोती करने के आरोपों पर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार को माफी मांगी। सरकार को सौंपी गई एक जांच रिपोर्ट में एनएचएस पर संक्रमित रक्त घोटाले को छिपाने का आरोप लगाया गया था। जांच अध्यक्ष सर ब्रायन लैंगस्टाफ ने यह रिपोर्ट सोमवार को ही पेश की है। रिपोर्ट पेश किए जाने के कुछ घंटों बाद हाउस ऑफ कॉमंस में सुनक ने कहा कि जांच में विफलताओं और इन्कार के रवैये के बाद यह ब्रिटेन के लिए शर्म का दिन है। एक अनुमान के मुताबक संक्रमित खून से 3,000 से अधिक मौतें हुई थीं। उससे भी बड़ी त्रासदी यह है कि जानकारी मिलने के बाद भी एनएचएस ने मामले में लीपापोती की।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने माफी मांगते हुए कहा कि संक्रमित रक्त घोटाले के चलते 1970 और 1990 के दशक में एनएचएस से स्वास्थ्य सेवाएं ले रहे 30,000 से अधिक लोग संक्रमित रक्त के चलते एचआईवी और हेपेटाइटिस सी जैसे जीवन-घातक वायरस से संक्रमित हो गए थे, जो शर्मसार करने वाला है। सुनक ने पीड़ितों और उनके परिवारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह असंभव है कि मैं समझ सकूं की पीड़ितों को कैसा महसूस हुआ होगा। मैं पूरे दिल से और स्पष्ट रूप से माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी और 1970 से लेकर अब तक की सभी सरकारों की ओर से लोगों से माफी मांगता हूं। मुझे वास्तव में खेद है। उन्होंने कहा कि चाहे जो भी खर्च हो सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, 1970 और 1980 के दशक में हजारों लोग जिन्हें नस के जरिए रक्त चढ़ाने की जरूरत थी, उन्हें हेपेटाइटिस से दूषित रक्त चढ़ाया गया था। इसमें हेपेटाइटिस सी और एचआईवी वायरस से दूषित रक्त भी था। रक्त के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने वाली बीमारी हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों को उस वक्त रक्त प्लाज्मा से निकाले गए एक क्रांतिकारी इलाज फैक्टर-8 दिया गया। एनएचएस ने 1970 के दशक की शुरुआत में इस नए इलाज का इस्तेमाल शुरू कर दिया। जल्द ही इसकी मांग आपूर्ति के घरेलू स्रोतों से आगे निकल गई, इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों ने अमेरिका से फैक्टर -8 का आयात करना शुरू कर दिया।
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