मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन की संसद ने रवांडा शरणार्थी विधेयक को पारित कर दिया है। इस विधेयक के तहत ब्रिटेन की सरकार अवैध रूप से ब्रिटेन आने वाले लोगों को अफ्रीकी देश रवांडा भेजेगी। यह विधेयक बीते दो साल से अटका हुआ था और इसे अदालत में भी चुनौती दी गई। आखिरकार तमाम परेशानियों के बाद अब यह बिल कानून बनने वाला है। ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली ने बताया कि संसद से रवांडा विधेयक पारित हो गया है और कुछ ही दिनों में ये कानून बन जाएगा।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन में अवैध रूप से आने वाले शरणार्थियों खासकर आपराधिक गैंग्स द्वारा छोटी नौकाओं में जिन लोगों को ब्रिटेन भेजा जाता था, उन्हें रोकने के लिए रवांडा शरणार्थी विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के तहत अवैध रूप से ब्रिटेन आने वाले शरणार्थियों को ब्रिटेन की सरकार अफ्रीकी देश रवांडा भेजेगी। रवांडा ये शरणार्थी ब्रिटेन की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। जिन लोगों के आवेदन स्वीकार हो जाएंगे, उन्हें ब्रिटेन बुलाकर नागरिकता दे दी जाएगी। वहीं जिन लोगों को आवेदन स्वीकार नहीं होंगे, वे या तो रवांडा में ही बसने के लिए आवेदन कर सकेंगे या फिर किसी तीसरे देश में शरण मांग सकेंगे।
जानकारी के अनुसार, नीति के तहत 1 जनवरी 2022 से अवैध रूप से ब्रिटेन आने वाले लोगों को रवांडा भेजा जाना शुरू किया जाना था। हालांकि अभी तक इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है। अब जब कानून संसद से पारित हो गया है तो माना जा रहा है कि जल्द ही रवांडा के लिए पहली उड़ान शुरू हो जाएगी। रवांडा बिल के तहत ब्रिटेन की सरकार ने रवांडा की सरकार के साथ प्रवासन संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत ब्रिटिश सरकार रवांडा को 2023 के अंत तक 24 करोड़ पाउंड का भुगतान कर चुकी है और पांच वर्षों के लिए यह कुल भुगतान 37 करोड़ पाउंड होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन, रवांडा भेजे गए हर व्यक्ति के लिए डेढ़ लाख पाउंड का भुगतान करेगा। अभी ब्रिटेन में शरणार्थियों पर सरकार सालाना चार अरब पाउंड खर्च करती है। संधि में कहा गया है कि एक स्वतंत्र निगरानी समिति यह सुनिश्चित करेगी कि रवांडा अपने दायित्वों का अनुपालन करे।
जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन की संसद से रवांडा विधेयक पारित हो चुका है, लेकिन अभी भी सरकार को इसे लेकर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल इस विधेयक को यूरोपीय अदालत में चुनौती दी जा सकती है क्योंकि ब्रिटेन अभी भी यूरोपीय कन्वेंशन ऑन ह्युमन राइट्स का सदस्य देश है और यूरोपीय अदालत ने पहले भी इस विधेयक पर रोक लगाई थी। ऐसे में संभव है कि आगे भी यूरोपीय कोर्ट इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
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