मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में एक मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाया जाना चाहिए। इसमें सिफारिश की गई कि सुरक्षा परिषद इस मामले पर पुनर्विचार करे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 193 सदस्यीय महासभा ने शुक्रवार की सुबह एक आपातकालीन विशेष सत्र के लिए बैठक की। इस दौरान अरब देशों की ओर से फलस्तीन के समर्थन में ‘संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्यों का प्रवेश’ प्रस्ताव रखा गया। प्रस्ताव के पक्ष में 143 मत पड़े। जबकि नौ ने विरोध में वोट किए। वहीं, 25 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया। वोट डाले जाने के बाद यूएनजीए हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, प्रस्ताव में कहा गया था कि फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र में सदस्य बनने के योग्य है और उसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद-4 के अनुसार शामिल किया जाना चाहिए।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, भारत पहले गैर-अरब देश था जिसने 1974 में फलस्तीनी लोगों के एक मात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में फलस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को मान्यता दी थी। साल 1988 में फलस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले देशों में से भारत एक था। 1996 में नई दिल्ली ने गाजा में फलस्तीनी प्राधिकरण के लिए अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे बाद में 2003 में में रामल्ला (वेस्ट बैंक) में स्थानांतरित कर दिया गया।
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