मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दो महीने से ज्यादा की खींचतान के बाद अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि सभा सदन में शुक्रवार को सहयोगी देशों को 95 अरब डॉलर की मदद का प्रस्ताव पारित हो गया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों से अपील की थी। अमेरिकी मदद की इस धनराशि का बड़ा हिस्सा यूक्रेन और इजरायल को मिलेगा। वहीं, कुछ आर्थिक मदद ताइवान को भी दी जाएगी।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, यह प्रस्ताव पारित होने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने खुशी जाहिर की है तो रूस ने कहा है कि नए हथियारों से यूक्रेन में युद्ध तेज होगा और वहां पर ज्यादा लोगों की मौत होगी। यूक्रेन पिछले छह महीनों से हथियारों और गोला-बारूद की कमी से जूझ रहा है जिसका सीधा प्रभाव रूसी सेना के साथ उसके युद्ध के मोर्चे पर पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की कई बार सहयोगी देशों से हथियारों और गोला-बारूद की मदद मांग चुके हैं। प्रतिनिधि सभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार सर्वाधिक 60.84 अरब डॉलर की सहायता यूक्रेन को मिलेगी। इसमें से 23 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी हथियार होंगे। जबकि गाजा युद्ध लड़ रहे इजरायल को 26 अरब डॉलर की सहायता मिलेगी जिसमें हथियार भी शामिल होंगे। पारित प्रस्ताव के अनुसार 9.1 अरब डॉलर की धनराशि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए दी जाएगी जबकि 8.12 अरब डॉलर हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में अमेरिका के मित्र देशों को मिलेंगे। शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव के समर्थन में 316 और विरोध में 94 मत पड़े।
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