मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, व्हाइट हाउस ने सोमवार को बताया कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव जैक सुलिवन और उनके चाइनीज समकक्ष वांग यी के बीच थाइलैंड के बैंकॉक में अहम बैठक हुई। यह बैठक 12 घंटे लंबी चली और इसमें कई अहम मुद्दों पर बात हुई। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि दोनों अधिकारियों के बीच साप्ताहांत में बैठक हुई और यह 12 घंटे लंबी चली।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जॉन किर्बी ने कहा सुलिवन और डायरेक्टर वांग यी ने नवंबर में राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में जिन मुद्दों पर बातचीत हुई, उनकी प्रगति पर चर्चा की। साथ ही सेना के सेना से कम्युनिकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सेफ्टी और खतरों और काउंटर नारकोटिक्स पर द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत की। अमेरिका और चीन के बीच नारकोटिक्स के मुद्दे पर वर्किंग ग्रुप का गठन हो भी गया है। साथ ही दोनों देशों के बीच कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात हुई, जिनमें रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया के बिगड़ते हालात, उत्तर कोरिया, दक्षिण चीन सागर और म्यांमार का मुद्दा प्रमुख है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, अमेरिका और चीन की बढ़ती नजदीकी पर नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने चेताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि अमेरिका और अन्य सहयोगी देश चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि चीन तेजी से अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है। इसके अलावा वह यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के ज्यादा करीब हुआ है और चीन, रूस को लगातार मदद भी कर रहा है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि ‘बेशक, चीन की अर्थव्यवस्था का आकार और बढ़ती सैन्य ताकत नाटो और इसके सहयोगियों के लिए चुनौती है। साथ ही यह अमेरिका के लिए भी चुनौती है। अमेरिका, नाटो का सबसे बड़ा सहयोगी है, लेकिन अमेरिका को भी नाटो से काफी फायदा मिलता है और नाटो के सामने रूस और चीन कहीं नहीं टिकते। दुनिया की अर्थव्यवस्था में अमेरिका की जीडीपी 25 प्रतिशत है, लेकिन नाटो के साथ हम कुल वैश्विक जीडीपी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। साथ ही दुनिया की कुल सैन्य ताकत का आधा हिस्सा भी नाटो के पास ही है।’
मीडिया सूत्रों के अनुसार, नाटो महासचिव ने कहा कि ‘ऐसे में अमेरिका को चीन के साथ अकेले बातचीत करने का कोई कारण नहीं होना चाहिए। हम साथ में बेहद मजबूत हैं और अमेरिका के लिए नाटो के साथ रहना ज्यादा फायदेमंद है। स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि आज दुनिया बेहद खतरनाक हो गई है और ऐसे वक्त में नाटो की भूमिका और अहम है।’
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