मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केरल उच्च न्यायालय ने एक पशु चिकित्सा छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी 19 छात्रों को शुक्रवार को सशर्त जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि उनके किसी भी कृत्य को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है। अदालत ने कहा कि आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि उनमें से प्रत्येक को 50,000 रुपये का बॉन्ड और इतनी ही राशि की दो सॉल्वेंट जमानतें देनी होंगी। आरोपी निर्देश दिए जाने पर जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। फैसला आने तक राज्य नहीं छोड़ेंगे या वायनाड जिले में प्रवेश नहीं करेंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति सीएस डायस की पीठ ने पशु चिकित्सा छात्र सिद्धार्थन जेएस (20) की आत्महत्या मामले में आरोपी छात्रों की जमानत याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर समग्र रूप से विचार किया गया। प्रथम दृष्टया मुझे आरोपियों की ओर से मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने या सहायता करने के किसी भी सकारात्मक कार्य को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं मिली।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, अदालत ने यह भी देखा कि पीड़ित के शरीर पर आरोपियों द्वारा कथित क्रूर हमले के अनुरूप कोई चोट के निशान नहीं थे। जस्टिस डायस ने आगे कहा कि आरोपी 90 दिनों से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में हैं, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। सभी 22 से 24 साल की उम्र के छात्र हैं। उन्होंने कहा, ‘तथ्यों, बार में की गई प्रतिद्वंद्वी प्रस्तुतियों और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्रियों और ऊपर की गई मेरी टिप्पणियों पर समग्र विचार करने पर, मेरा निश्चित विचार है कि याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, वायनाड के पुकोडे में पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान कॉलेज के छात्रावास के बाथरूम में 18 फरवरी को सिद्धार्थन जेएस (20) का शव लटका मिला था। सिद्धार्थन पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन में स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र था। पुलिस ने सिद्धार्थन के साथ मारपीट करने के आरोप में उसके 19 सहपाठियों और वरिष्ठों पर केस दर्ज किया। जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 324 (खतरनाक हथियार से जानबूझकर चोट पहुंचाना), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं। बाद में छात्र के परिवार के अनुरोध पर राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था।
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