मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिका ने तस्करी की गईं 1440 पुरातात्विक धरोहरें भारत को वापस लौटा दी हैं। इन धरोहरों में प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियों हैं, जिनका कुल मूल्य एक करोड़ डॉलर आंका गया है। इनमें बीती सदी के आठवें दशक में मध्य प्रदेश से चोरी बलुआ पत्थर की एक मूर्ति और राजस्थान से बीती सदी के छठे दशक में चोरी हरे-भूरे रंग की एक मूर्ति भी शामिल है। भारत से चुराई गईं 600 और प्राचीन कलाकृतियां आगामी महीनों में सौंपी जाएंगी। मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटार्नी एल्विन एल ब्रैग जूनियर के अनुसार, भारत को कलाकृतियां लौटाने के लिए न्यूयार्क में आयोजित एक समारोह में भारत के महावाणिज्य दूत मनीष कुल्हारी और न्यूयार्क सांस्कृतिक संपत्ति, कला एवं पुरातात्विक अवशेष समूह की होमलैंड सुरक्षा जांच के समूह पर्यवेक्षक एलेग्जेंड्रा डेअर्मस उपस्थित थे। मध्य प्रदेश के एक मंदिर से नर्तकी की बलुआ पत्थर की मूर्ति चोरी हुई थी। तस्करी और अवैध रूप से बेचने के लिए मूर्ति को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था और फरवरी 1972 तक दो भाग अवैध रूप से लंदन से न्यूयार्क मंगाए गए और इन्हें फिर से जोड़ा गया।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बाद में यह मूर्ति मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट (मेट) में पहुंच गई थी। जहां से पुरातात्विक अवशेष तस्करी इकाई (एटीयू) द्वारा 2023 में यह मूर्ति जब्त कर ली गई थी। दूसरी प्रतिमा तनेसर माता की है। हरे भूरे रंग की यह मूर्ति राजस्थान के तनेसर-महादेव गांव से चोरी हुई थी। बीती सदी के पांचवें दशक में पहली बार एक भारतीय पुरातत्ववेत्ता द्वारा तनेसर माता और उनके साथ अन्य देवियों की मूर्ति का दस्तावेज तैयार किया गया था। ये पुरातात्विक अवशेष आपराधिक तस्करी नेटवर्क के विरुद्ध जारी विभिन्न जांच के क्रम में बरामद किए गए। पुरावशेष तस्कर सुभाष कपूर और दोषी करार दिए गए तस्कर नैंसी वीनर के विरुद्ध जांच भी इसमें शामिल हैं। ब्रैग ने कहा कि हम भारतीय सांस्कृतिक विरासत को निशाना बनाने वाले तस्करी नेटवर्क के विरुद्ध जांच जारी रखेंगे। अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरावशेषों को वापस करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया था और कहा था कि हमारे लिए, ये सिर्फ कला नहीं बल्कि हमारी विरासत, संस्कृति और धर्म का हिस्सा हैं। इसलिए जब यह खोई हुई विरासत घर लौटेगी, तो बहुत भावुकता के साथ उनका स्वागत किया जाएगा। इसके बाद, मैनहट्टन अभियोजक के कार्यालय द्वारा 105 पुरावशेष भारत को सौंप दिए गए। 2022 में, ब्रैग ने महावाणिज्य दूतावास को लगभग 4 मिलियन डॉलर मूल्य की 307 वस्तुएँ सौंपीं। ब्रैग ने उस समय कहा था कि कपूर दुनिया के सबसे विपुल पुरावशेष तस्करों में से एक था।
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