मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिका के लास एंजिल्स शहर में लगी आग 11 वें दिन भी बेकाबू है। कई इलाके अभी भी जल रहे हैं और उनके नजदीक रहने वालों को घर छोड़ने के लिए कहा गया है। इस बीच आग से मरने वालों की संख्या बढ़कर 27 हो गई है जबकि दर्जनों लोग झुलसे हुए हैं। अभी तक 12,300 से ज्यादा भवन जलकर राख में तब्दील हो गए हैं, 150 अरब डॉलर से ज्यादा के नुकसान का अंदेशा है। लास एंजिल्स के पैलिसेड्स इलाके में आग से सबसे ज्यादा बर्बादी हुई है। जंगल के किनारे के इस इलाके में सात जनवरी को आग लगी थी जो अभी तक बुझाई नहीं जा सकी है। इस इलाके का 23,713 एकड़ (96 वर्ग किलोमीटर) भूभाग आग की चपेट में आया है। अब जबकि हवा की गति कम हो रही है तब माना जा रहा है कि सप्ताह के अंत तक आग को काफी हद तक काबू कर लिया जाएगा। जबकि ईटन इलाके का 14,117 एकड़ (57 वर्ग किलोमीटर) इलाका आग की चपेट में है। प्रभावित इलाके के आधे से ज्यादा भूभाग पर आग बुझ चुकी है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस ने कहा है कि इस सप्ताह की शुरुआत में हवा की जिस तरह की गति तेज हुई थी, कुछ वैसी ही आशंका 20 जनवरी से शुरू होने वाले अगले सप्ताह में है। अगर सोमवार-मंगलवार को कैलिफोर्निया में हवा की गति तेज हुई तो आग फैलने का खतरा एक बार फिर बढ़ जाएगा। लेकिन अभी उस स्थिति के तीन दिन बाकी हैं, इस अवधि में ईटन में आग बुझाई जा सकती है और पैलिसेड्स में आग फैलने के खतरे कम किए जा सकते हैं। लास एंजिल्स क्षेत्र में जंगल की आग तबाही मचा दी है। इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए कैलिफोर्निया के लोग एक बार फिर ”जलवायु सुपरफंड” कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले वर्मोंट और न्यूयार्क ने ”जलवायु सुपरफंड” कानून लागू किया है। इसके तहत ऊर्जा कंपनियों को भीषण गर्मी और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद के लिए भुगतान करना आवश्यक होगा। सेंटर फॉर बायोलाजिकल डायवर्सिटी के क्लाइमेट ला इंस्टीट्यूट की निदेशक कैसी सीगल ने कहा कि करदाता जलवायु जनित आपदाओं का 100 प्रतिशत बोझ उठा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के कानून से कैलिफोर्नियावासियों पर से कुछ बोझ कम हो जाएगा। अब सवाल उठता है कि इस नए कानून से तेल कंपनियां आने वाली चुनौतियों से बच पाएंगी। इसके विरोध में पिछले महीने यूएस चैंबर आफ कामर्स और अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट द्वारा वर्मोंट संघीय न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया था। मुकदमे में न्यायालय से वर्मोंट के कानून को रोकने की मांग की गई है। इसमें तर्क दिया गया था कि यह असंवैधानिक,अतार्किक और मनमाना दंड लगाएगा।
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