मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) ने चिकित्सा कर्मचारियों पर हमलों और हिंसा को रोकने के लिए विशेष केंद्रीय कानून की मांग की है। इसके लिए आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर अस्पताल को सुरक्षित स्थान घोषित करने की मांग की है। देशभर के सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हाल ही में कोलकाता के एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु के साथ बलात्कार और हत्या को लेकर सोमवार को विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की।एसोसिएशन ने कहा कि 25 राज्यों में डॉक्टरों और अस्पतालों पर हमलों पर कानून हैं लेकिन इन कानूनों का कोई असर दिखाई नहीं देता है। आईएमए ने केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में कहा, “चिकित्सा कर्मियों पर हो रहे हमले एक विशेष केंद्रीय अधिनियम की अनुपस्थिति का कारण है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान का निषेध) विधेयक, 2019 के मसौदे को पेश करने पर पुनर्विचार करें, जिसमें संशोधनों को शामिल किया जाए। महामारी रोग अधिनियम 1897, महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 में संसद द्वारा अनुमोदित और पारित किया गया था।’’
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार को आईएमए ने कोलकाता मामले में दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए अधिकारियों को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी थी। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार-हत्या के मामले को सुलझाने के लिए सात दिन की समय सीमा क्यों तय की है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। आईएमए ने पश्चिम बंगाल राज्य सरकार से निम्नलिखित मांग की है, जिसमें पहली मांग है, मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले। दूसरी मांग है, अपराध को संभव बनाने वाली परिस्थितियों की विस्तृत जांच हो। तीसरी मांग है, कार्यस्थल पर डॉक्टरों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
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