जयपुर: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को आधार मानते हुए आवारा कुत्तों के मानवीय प्रबंधन हेतु नई 13 सूत्री गाइड लाइन जारी की है। स्वायत्त शासन विभाग ने इसे सभी नगरीय निकायों में 30 दिनों के भीतर लागू करने के निर्देश दिए हैं। नियमों के अनुसार अब राज्य में 6 महीने से छोटे कुत्तों की नसबंदी नहीं की जाएगी। इसी तरह दूध पिलाने वाली मादा को तब तक पकड़ने पर रोक रहेगी, जब तक उनके पिल्ले प्राकृतिक रूप से दूध छोड़ न दें।
गाइड लाइन में स्पष्ट किया गया है कि कुत्तों को पकड़ने के लिए तार, फंदा या टोंग्स का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही कुत्तों को सुरक्षित जाल या हाथ से पकड़ सकेंगे। प्रत्येक वार्ड में निर्धारित भोजन स्थल बनाए जाएंगे। इसके अलावा नसबंदी केंद्रों का नवीनीकरण और नई सुविधाओं जैसे टीकाकरण और डीवार्मिंग की व्यवस्था होगी। कुत्तों को पकड़ने और देखभाल का जिम्मा केवल एडब्ल्यूबीआई से मान्यता प्राप्त एनजीओ को दिया जाएगा, जिन्हें प्रति कुत्ता 200 से 1450 रुपए तक भुगतान होगा।
हर नगर निकाय में निगरानी समिति बनाई जाएगी, जिसमें पशु कार्यकर्ता की मौजूदगी अनिवार्य होगी। सभी प्रक्रियाओं की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग और 30 दिन का फुटेज रखना होगा। बीमार या घायल कुत्तों का पहले इलाज किया जाएगा, उसके बाद ही नसबंदी होगी। यूडीएच शासन सचिव रवि जैन ने कहा कि यह नीति लोगों की सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को संतुलित करेगी। उल्लंघन करने पर पशु जन्म नियंत्रण नियम 2003 के तहत कार्रवाई होगी। नई गाइड लाइन से राज्य में आवारा कुत्तों के प्रति मानवीय व्यवहार और जनता की सुरक्षा दोनों को मजबूती मिलेगी।
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News & Image Source: khabarmasala