उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने हैदराबाद में राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को किया संबोधित

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उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने हैदराबाद में राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को किया संबोधित

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने शनिवार को हैदराबाद में राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के सम्मेलन के समापन सत्र में भाग लिया और भारत की शासन प्रणाली की गुणवत्ता, ईमानदारी और प्रभावशीलता को आकार देने में लोक सेवा आयोगों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह भारत विकसित भारत@2047 के विज़न की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में शासन की गुणवत्‍ता, और उससे भी कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण संस्‍थानों को चलाने वाले लोगों की गुणवत्‍ता निर्णायक सिद्ध होगी। उन्होंने लोक सेवा आयोगों को संवैधानिक संस्‍थाएँ करार दिया, जिन्हें देश की सेवा करने के लिए योग्‍य, निष्पक्ष और नैतिक लोगों को चुनने की अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान में प्रतिष्‍ठापित लोक सेवा आयोगों की स्‍वतंत्रता, सरकारी भर्ती में योग्‍यता, निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती आई है। उन्होंने कहा कि दशकों से, केंद्र और राज्‍य स्‍तर पर आयोगों ने प्रशासनिक निरंतरता, संस्‍थागत स्थिरता और लोक सेवकों का तटस्‍थ चयन सुनिश्चित करते हुए जनता के भरोसे को मज़बूत किया है। लोक सेवाओं के संबंध में बदलती मांगों पर ज़ोर देते हुए उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि डिजिटल शासन, सामाजिक समावेशन, अवसंरचना विकास, जलवायु कार्रवाई और आर्थिक परिवर्तन जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं को कुशलतापूर्वक कार्यान्वित करना आज चुने गए प्रशासनिकों की गुणवत्‍ता पर निर्भर करता है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नैतिक मानकों के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि निष्पक्षता सरकारी भर्ती का नैतिक आधार है और भेदभाव खत्म करने के लिए पारदर्शिता ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि छोटी-मोटी गड़बड़ियाँ भी संस्थानों की विश्वसनीयता कम कर सकती हैं, और उन्होंने सार्वजनिक परीक्षाओं में गड़बड़ी को कतई बर्दाश्‍त न करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आज प्रभावशाली शासन के लिए शैक्षणिक दक्षता के साथ-साथ मज़बूत नैतिक फ़ैसले, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेतृत्‍व क्षमता और टीमवर्क वाले लोक सेवकों की ज़रूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोक सेवा आयोग ज्ञान पर आधारित परीक्षाओं के साथ-साथ व्यवहार और नैतिक योग्‍यता के निष्पक्ष और सुनियोजित आकलन की संभावनाओं के बारे में विचार कर सकते हैं। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि केवल भर्ती आजीवन बेहतरीन कार्य किया जाना सुनिश्चित नहीं कर सकती, उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि संस्‍थागत ईमानदारी बनाए रखने के लिए प्रदर्शन का आकलन, सतर्कता एवं निगरानी और समय-समय पर समीक्षा करने के तरीकों को बिना किसी भेदभाव के तथा पारदर्शी तरीके से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि चरित्र और नैतिक व्यवहार राष्‍ट्र निर्माण और जनता के भरोसे की बुनियाद हैं। भारत के जनसांख्यिकीय लाभाँश का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोक सेवा आयोगों को प्रतिभा मानचित्रण और रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिभा सेतु जैसी पहल सहित नवोन्‍मेषी तरीके तलाशने के लिए प्रोत्‍साहित किया, ताकि सही प्रतिभा को सही भूमिका मिल सके। अपने संबोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि लोक सेवा आयोग सुशासन की नींव मज़बूत करते रहेंगे तथा विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में देश की यात्रा में अहम भूमिका निभाएंगे।

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