मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलना तय है और यदि देश में ऐसा प्रधानमंत्री हो जिसे कोई न नहीं कह सके तो सदस्यता मिलने की यह प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। ओडिशा के कटक में लोगों से बातचीत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘यह बेहद कठिन समय है। उससे भी महत्वपूर्ण, आप किसपर भरोसा करना चाहते हैं? आप किसे इस देश का प्रभारी देखना चाहते हैं? आपको ऐसा कौन दिखता है जो इन चुनौतियों का मुकाबला कर देश को आगे ले जा सकता है। आप सुरक्षा परिषद के बारे में पूछ रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि हम उसका सदस्य बनेंगे। लेकिन हम जल्दी सदस्य बनेंगे यदि हमारे पास एक ऐसा मजबूत प्रधानमंत्री हो जिसे दुनिया किसी चीज के लिए मना न कर सके। और अभी हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं।’
जानकारी के लिए बता दें कि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं जिनमें से पांच स्थायी जबकि 10 अस्थायी होते हैं। अस्थायी सदस्य हर दो साल में बदलते रहते हैं जबकि अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और चीन स्थायी सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र में इन पांचों सदस्यों के पास किसी भी प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो का अधिकार है जो अस्थायी सदस्यों के पास नहीं होता। भारत लंबे समय से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग उठा रहा है। उसका दावा है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता पर उसका स्वाभाविक हक है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र, ‘संकल्प पत्र’ में वादा किया है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए पूरा प्रयास करेगी।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सभी धर्मों का सम्मान करना है और इसका अर्थ अपने धर्म को नकारना या अपनी संस्कृति या विरासत पर गर्व न करना नहीं है। विदेश मंत्री से पूछा गया था कि देश की विदेश नीति में धर्मनिरपेक्षता को कैसे समाहित किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘पहले तो हमें इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि धर्मनिरपेक्षता का अर्थ क्या है। इसका अर्थ है सभी धर्मों का आदर करना। आज के भारत में इतिहास, संस्कृति और परंपराएं हैं। यह जीवन के तथ्य हैं। यदि 3000 साल पहले कोई चीज थी तो यह वास्तविकता है। ऐसे में हमें उसे लेकर रक्षात्मक नहीं होना चाहिए।’ विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत विश्वबंधु देश है जो अस्थिर, युद्धग्रस्त और अफरातफरी वाली दुनिया में सबके सौहार्द के लिए काम करता है। उन्होंने कहा, विश्वबंधु देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़त हासिल होती है। आज भारत की यही पहचान है। अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमने कई साझेदार बनाए हैं। इनमें अमेरिका, यूरोप, रूस, खाड़ी देश और इस्राइल सब शामिल हैं। जो देश अलग-अलग सोच रखने वाले देशों के साथ अपने हित में साझेदारी स्थापित कर सके वही विश्वबंधु है। विश्वबंधु वैश्विक स्तर पर सबका साथ, सबका विकास की भावना रखता है।
Image Source : ANI
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