मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन का प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय संत तिरुमनकई अलवर की 500 साल पुरानी कांस्य मूर्ति भारत को लौटाने पर सहमत हो गया है। यह प्रतिमा 60 सेमी ऊंची है। माना जाता है कि यह मूर्ति तमिलनाडु के एक मंदिर से चोरी हुई थी। इस साल 11 मार्च को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की परिषद ने एशमोलियन संग्रालय से संत तिरुमनकई की 16वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति की वापसी के लिए भारतीय उच्चायोग के दावे का समर्थन किया। यह मूर्ति 1967 से संग्रहालय में रखी हुई है। इसे म्यूजियम ने एक नीलामी के बाद हासिल किया था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एशमोलियन संग्रहालय ने कहा, अब चैरिटी आयोग से इस फैसले की मंजूरी ली जाएगी। संग्रहालय का कहना है कि उसे पिछले साल नवंबर में एक स्वतंत्र शोधकर्ता द्वारा प्राचीन मूर्ति की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसके बाद उसने भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया था। उसे भारत सरकार से मूर्ति के लिए औपचारिक अनुरोध मिला था।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, एशमोलियन संग्रालय में दुनिया की कुछ सबसे प्रसिद्ध कला और पुरातत्व कलाकृतियां हैं। संग्रालय का कहना है कि उसने 1967 में अच्छे विश्वास के साथ संत तिरुमनकई की मूर्ति हासिल की थी। संग्रहालय ने मूर्ति को सोथबी के नीलामी घर से डॉ. जेआर. बेलमोंट नामक एक संग्रहकर्ता के संग्रह से हासिल किया था।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, चोरी की गईं भारतीय कलाकृतियों को ब्रिटेन से भारत में पुनर्स्थापित किए जाने के कई उदाहरण हैं। पिछले साल अगस्त में आंध्र प्रदेश से उत्पन्न एक चूना पत्थर की नक्काशीदार राहत मूर्तिकला, 17वीं शताब्दी में तमिलनाडु से आई एक ‘नवनीता कृष्ण’ कांस्य मूर्ति को भी भारत पुनर्स्थापित किया गया। स्कॉटलैंड यार्ड की कला और प्राचीन वस्तुएं इकाई से जुड़ी संयुक्त यूएस-यूके जांच के बाद दोनों मूर्तियों को यूके में भारतीय उच्चायुक्त को सौंप दिया गया था।
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