कुवैत जैसे खाड़ी देशों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ,चार दशकों से भी अधिक समय में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने कुवैत की यात्रा की है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1980 के दशक में कुवैत का दौरा किया था। तब से बहुत कुछ बदल गया है। भारत एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति, एक महत्वपूर्ण बाजार और एक प्रमुख भू-राजनीतिक देश के रूप में बदल गया है। कुवैत जैसे खाड़ी देशों के लिए, भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है। श्री मोदी की यह यात्रा बढ़ती साझेदारी का एक सिलसिला है। इस साल के प्रारंभ में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुवैत का दौरा किया था। कुवैत के विदेश मंत्री ने भी हाल ही में नई दिल्ली की यात्रा की, जहाँ दोनों देशों ने सहयोग के लिए एक संयुक्त आयोग के गठन से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह आयोग व्यापार, निवेश और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए बनाया गया है।भारत और कुवैत के बीच पहले से ही मज़बूत आर्थिक संबंध हैं। वर्ष 2023-24 के वित्तीय वर्ष के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डॉलर से अधिक हो गया, जिससे भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक बन गया। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता भी है, जो देश की ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 3% पूरा करता है।वर्ष 2023-24 में कुवैत को भारतीय निर्यात में साल-दर-साल 34.7% की वृद्धि हुई, जिसमें विमान के पुर्जे, अनाज, जैविक रसायन और मशीनरी शामिल हैं। एलएंडटी, विप्रो, टाटा और एयर इंडिया जैसी प्रमुख कंपनियों सहित भारतीय कंपनियों ने कुवैत में अपनी मज़बूत उपस्थिति स्थापित की है, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान मिला है। कुवैत में दस लाख से ज़्यादा लोगों का एक महत्वपूर्ण भारतीय समुदाय रहता है- जो देश का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। वे कुवैती समाज के सभी क्षेत्रों में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं, और उनके द्वारा भेजी गई धनराशि, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा उनके पश्चिम एशिया आउटरीच के व्यापक संदर्भ में प्रतीकात्मक महत्व भी रखती है।हमास और हिजबुल्लाह के साथ इजरायल के संघर्ष ने पारंपरिक गठबंधनों को बाधित किया है, जबकि सीरिया में असद शासन के पतन से क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप मिलने की उम्मीद है। इन घटनाक्रमों के बीच, कुवैत के साथ प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी एक स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अपने खाड़ी भागीदारों के लिए प्रतिबद्ध है और इस क्षेत्र में अपने प्रभाव और सहयोग का विस्तार करने का इरादा रखता है। भारत और कुवैत के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि,1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में वैध मुद्रा भी था, जो घनिष्ठ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करता है। आधुनिक समय में, यह संबंध एक बहुआयामी संबंध में विकसित हुआ है। भारतीय सिनेमा, संगीत, नृत्य और योग कुवैत में बेहद लोकप्रिय हैं, और भारतीय संस्कृति ने अरब आबादी के बीच एक मजबूत पैर जमा लिया है। रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्यों का प्रमुख कुवैती विद्वानों द्वारा अरबी में अनुवाद किया गया है, जिससे स्थानीय दर्शकों को इन कालातीत कहानियों से जुड़ने का मौका मिलता है। अपनी यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी ने अनुवादक अब्दुल्ला अल बरून और अब्दुल लतीफ अल नेसेफ सहित उल्लेखनीय सांस्कृतिक हस्तियों से मुलाकात की, जिन्होंने इन आदान-प्रदानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी की कृतियों का भी अनुवाद किया गया है और इस क्षेत्र में पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में उनका अध्ययन किया गया है।
कुवैत वर्तमान में खाड़ी सहयोग परिषद का अध्यक्ष है। यह परिषद बहरीन, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत से मिलकर बना एक प्रभावशाली गुट है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इस शक्तिशाली समूह के साथ अपने जुड़ाव को गहरा करने के भारत के इरादे को रेखांकित करती है। कुवैत के 2040 मास्टर प्लान में रणनीतिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ऐसे में भारत की तकनीकी विशेषज्ञता और नवाचार सहयोग के अवसर प्रस्तुत करते हैं। कुवैत के सॉवरेन वेल्थ फंड से भारत में निवेश पहले ही 10 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है, जिससे दोनों देशों के बीच वित्तीय संबंध मजबूत हुए हैं। कुवैत में भारतीय समुदाय इस रिश्ते का एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है।देश में 26 स्कूल हैं, जो सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करते हैं, जिनमें भारतीयों और अन्य प्रवासियों सहित 60,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। भारतीय श्रमिक कुवैत की श्रम शक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रधानमंत्री मोदी का अपनी यात्रा के दौरान भारतीय श्रमिकों से मिलने के लिए गल्फ स्पिक लेबर कैंप का दौरा करना महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा बहुत ही आशाजनक और संभावित समय पर हुई है

Image Source : PTI

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