मप्र: हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में चल रहे स्वर्णरेखा नदी के पुनरोद्घार के मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में भोपाल से नगरीय प्रशासन के कार्यपालन यंत्री अपने हलफनामे के साथ पेश हुए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस हलफनामे को पढ़कर युगलपीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने भोपाल के उस अधिकारी को आड़े हाथ ले लिया। उस हलफनामे में दर्ज तथ्यों को जब अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी पढ़ रहे थे तो कोर्ट इससे भ्रमित होने लगा जिसके बाद उन्होंने शपथपत्र पेश करने वाले अधिकारी को जमकर फटकारा।
मीडिया की माने तो, मंगलवार को सुनवाई के दौरान नगर निगम कमिश्नर, स्मार्ट सिटी सीईओ और वन विभाग से डीएफओ पेश हुए। वहीं कोर्ट के लास्ट ऑर्डर के आधार पर अर्बन एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की ओर से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर भोपाल ने एफिडेविट के साथ प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई रिपोर्ट पेश की, लेकिन जब हाई कोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई के दौरान पेश किए गए एफिडेविट में दर्जनों खामियां मिलीं और उन खामियों से जुड़े हुए सवाल भोपाल से आए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से किए गए तो वह इसका कोई भी जवाब नहीं दे सके।
बता दें कि, कोर्ट ने इस लापरवाही पर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और तल्ख टिप्पणी करते हुए भोपाल से आए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को कहा ‘इंजीनियर हो या अनपढ़ हो भोपाल से TA-DA लेकर यहां आ गए’। यहां का टाइप किया एफिडेविट लिया और कोर्ट में पेश कर दिया। उसके अंदर क्या लिखा है पढ़ने की कोशिश की। तुम्हें लायक समझ कर भोंपाल से यहां भेजा गया, लेकिन तुम पुराने अधिकारियों की तरह ही लायक नहीं बल्कि नालायक ही हो। पढ़े लिखे हो, इंजीनियर हो, किस बात की सरकार से तनख्वाह ले रहे हो। बाबूगिरी करने की या पोस्ट मेंन की तनख्वाह ले रहे हो। सच तो ये है कि तुम लोगों की काम करने की आदत ही बिगड़ गई है। सारा काम बाबूगिरी के आधार पर चलाते हो, फिर कोर्ट से डांट सुनते हो।
कोर्ट ने कहा, ‘जब कोई ऑर्डर कोर्ट लिखता है तो उसका कोई अर्थ होता है। कोर्ट की ऑर्डर शीट कोई पेपर नहीं है। हर बार की सुनवाई के दौरान न्यायालय का कीमती समय खराब किया जाता है। प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी को लेकर सारा होमवर्क कोर्ट में ही किया जाता है जो की बड़ी लापरवाही है। जो एफिडेविट और रिपोर्ट पेश करने आता है, उस अफसर को अगर अंग्रेजी नहीं आती है, तो उसका हिंदी अनुवाद करवाओ, एक एप डाउनलोड करवा दो, तत्काल ऑर्डर शीट हिंदी में आ जाएगी। भोपाल में बैठकर सब इंजीनियरिंग भूल गए हो, इंजीनियर होकर भी डफर्स से बुरे हो। हमे कहानी सुनने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। अगली तारीख पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। कोर्ट ने 2017 से अब तक स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट से जुड़े सभी अधिकारियों को तलब किया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 मार्च को तय की है, जिसमें सभी अधिकारियों को पेश होने के निर्देश देते हुए 5 शासन को एफिडेविट के साथ प्रॉपर डिटेल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है।
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