ट्राई से Jio, VI, Airtel और BSNL को मिली राहत, 10 दिसंबर से लागू होगा मैसेज ट्रेसबिलिटी नियम

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ट्राई से Jio, VI, Airtel और BSNL को मिली राहत, 10 दिसंबर से लागू होगा मैसेज ट्रेसबिलिटी नियम

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने टेलीकॉम कंपनियों की मैसेज ट्रेसबिलिटी लागू करने के लिए कुछ दिनों की राहत दे दी है। एक दिसंबर से लागू होने वाला यह नियम अब 10 दिसंबर से लागू होना है। ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए कहा है कि 11 दिसंबर से स्पैम कॉल और मैसेज को हर हाल में ब्लॉक करना होगा। अब ट्राई ने कंपनियों को ओटीपी बेस्ड एसएमएस वेरिफिकेशन के लिए 10 दिसंबर तक का समय दिया है। टेलीकॉम प्लेटफॉर्म का उपयोग फ्रॉड और साइबर क्राइम जैसी गतिविधियों के लिए न हो इसलिए ट्राई मैसेज ट्रेसबिलिटी लागू करने की प्लानिंग कर रहा है। पहले ये 1 दिसंबर से लागू होना था। कंपनी ने 10 दिन का वक्त देते हुए कंपनियों को 10 दिसंबर से मैसेज ट्रेसबिलिटी लागू करने के लिए कहा है। ट्राई ने बताया कि 27 हजार से ज्यादा कंपनियां कम्युनिकेशन चेन में रजिस्टर कर चुकी हैं। यह प्रक्रिया तेजी से जारी है। टेलीकॉम कंपनियां ऐसे टेलीमार्केटर्स को अलर्ट दे रही हैं, जिन्होंने अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। टेलीकॉम कंपनियों की तैयारी पूरी न होने के चलते ट्राई ने दस दिनों का वक्त दिया है। पहले मैसेज ट्रेसबिलिटी नियम एक दिसंबर से लागू होना था। ट्राई का कहना है कि ऐसे टेलीमार्केटर्स या कमर्शियल मैसेज और कॉल करने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के वे मैसेज या कॉल नहीं कर पाएंगे। भारत में हर दिन करीब 1.7 अरब तक कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ट्राई मैसेज ट्रेसबिलिटी के जरिए टेलीकॉम प्लेटफॉर्म से होने वाले फ्रॉड पर लगाम लगाना चाहता है। इसके तहत उसने टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि बैंक, ईकॉमर्स, और दूसरे संस्थानों से आने वाले ऐसे सभी मैसेज ब्लॉक करें, जिसमें टेलीमार्केटिंग या प्रमोशनल कंटेंट होता है। इसके साथ ही उसने कंपनियों को ऐसा सिस्टम तैयार करने को कहा है कि जिससे वे ग्राहकों को मिलने वाले मैसेज को आसानी से ट्रेस किया जा सके। इसके साथ ही ट्राई का कहना है कि टेलीमार्केटिंग और प्रमोशनल मैसेज का एक फॉर्मेट भी तय किया है, जिससे देखकर यूजर्स आसानी से इसका पता लगा सकें। ऐसा हो जाने के बाद ग्राहकों को आसानी से यह पता चल जाएगा कि वे मैसेज कहां से मिल रहा है। ऐसा करने से टेलीकॉम प्लेटफॉर्म से हो रहे फ्रॉड को कम करने में मदद मिल सकती है।

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