मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सर्दी के सितम ने दिल्ली की सड़कों पर 474 बेघरों की जानें लील ली है। यह दावे सेंटर फार होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने किए हैं। सीएचडी के कार्यकारी निदेशक सुनील अलेडिया के अनुसार, दिल्ली पुलिस नेटवर्क (जिप नेट) द्वारा संकलित ये आंकड़े पिछले वर्ष 15 नवंबर से इस वर्ष 10 जनवरी के बीच के हैं। जिसमें पुलिस ने 80 प्रतिशत मामलों को अज्ञात पहचान के रूप में दर्ज की है। इसमें सर्वाधिक मौतें रेलवे स्टेशन परिसरों में है, जिसमें आनन्द विहार, सब्जी मंडी, हजरत निजामुद्दीन, सराय रोहिला, दिल्ली कैंट समेत अन्य स्टेशन हैं, जहां से 100 मौतें दर्ज की गई है। इसके बाद, अधिक मौतें उत्तरी दिल्ली जिला पुलिस क्षेत्र में दर्ज की गई है। सब्जी मंडी, कश्मीरी गेट, कोतवाली, लाहौरी गेट, सिविल लाइंस, बाड़ा हिंदूराव, सदर बाजार, तिमारपुर, सराय रोहिला, वजीराबाद, गुलाबी बाग समेत अन्य स्थानों में नवंबर से अब तक 83 मौतें हुई है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जबकि मध्य दिल्ली के दरियागंज, पहाड़गंज, नबी करीम, जामा मस्जिद, हौज काजी, राजेंद्र नगर, पटेल नगर, कमला मार्केट, करोल बाग समेत अन्य इलाकों में 54 बेघरों की मौतें सर्दी से दर्ज की गई है। सीएचडी ने यह आंकड़ें जारी करते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव व डूसिब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि धवन से बेघरों के आश्रय गृहों की संख्या बढ़ाने के साथ उचित प्रबंध की मांग की है। वैसे, डूसिब के एक अधिकारी ने सर्दी से सैकड़ों लोगों की मौतों के आंकड़ों को अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि यह आंकड़े उचित प्रतीत नहीं होते हैं। अधिकारी ने दावा करते हुए कहा कि आश्रय गृहों में बेघरों में बेहतर व्यवस्था है। साल-दर-साल जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर से राजधानी का मौसम भी अछूता नहीं है। पिछले कुछ सालों से यहां चरम मौसमी घटनाओं में भी तेजी से इजाफा हुआ है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2024 ने राजधानी को कई अहम सबक दिए हैं। इस साल मानसून और गर्मी तो जानलेवा रही ही। साल के दस महीने मौसम में कोई न कोई पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ा। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले वर्षों में वर्षा, गर्मी और सर्दी और तीव्र होंगी। ऐसे में दिल्ली को भी इनसे निपटने के लिए तैयारियां करनी होंगी। हीट एक्शन प्लान की तर्ज पर मानसून एक्शन प्लान व विंटर प्लान भी तैयार करने होंगे ताकि संवेदनशील वर्ग के लोगों को बदलते मौसम के प्रभाव से बचाया जा सके।
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