मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा कि देश विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व और अग्रणी नवाचारों की पेशकश करके वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्पेस डॉकिंग प्रयोग भारत की तकनीकी प्रगति का प्रमाण है जो गगनयान, चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों का मार्ग प्रशस्त करता है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि देश ने उपग्रह प्रक्षेपण के मार्ग में वैश्विक विश्वसनीयता अर्जित की है। उन्होंने कहा कि भारत ने 433 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है और नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन-नासा सहित दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से भारत के निष्कर्षों का इंतजार कर रही हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी और जैव अर्थव्यवस्था में भारत की अग्रणी भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश ने कार्बन उत्सर्जन को 50 प्रतिशत तक कम करने के साथ-साथ 2047 तक एक सौ गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।
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