नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कैंसर देखभाल और शहरी स्वास्थ्य को मजबूत बनाने पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का किया आयोजन

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नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कैंसर देखभाल और शहरी स्वास्थ्य को मजबूत बनाने पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का किया आयोजन
Image Source : PIB

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 27 और 28 नवंबर को सुषमा स्वराज भवन, नई दिल्ली में कैंसर देखभाल और शहरी स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्घाटन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने किया और इसमें प्रमुख सचिवों, मिशन निदेशकों (एनएचएम), वरिष्ठ अधिकारियों और कैंसर नियंत्रण, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) और शहरी स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के नोडल अधिकारियों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने मुख्य भाषण देते हुए, देश भर में कैंसर सेवाओं को मज़बूत करने की सरकार की प्राथमिकता की पुष्टि की। उन्होंने केंद्रीय बजट 2025-26 में कैंसर उपचार के विकेंद्रीकरण, तृतीयक केंद्रों पर बोझ कम करने और समय पर कीमोथेरेपी और अनुवर्ती देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक ज़िले में डे केयर कैंसर सेंटर (डीसीसीसी) स्थापित करने का उल्लेख किया। उन्होंने सामुदायिक स्तर की जाँच से लेकर ज़िला स्तर के उपचार और उन्नत देखभाल तक कैंसर देखभाल की एक मज़बूत कड़ी के निर्माण पर ज़ोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) पहुँच बढ़ाने और परिणामों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने उद्घाटन सत्र के दौरान, एनपी-एनसीडी प्रशिक्षण मॉड्यूल, एफआरयू दिशानिर्देश 2025, और निःशुल्क निदान पहल के अंतर्गत प्रयोगशाला सेवाओं को सुदृढ़ बनाने हेतु परिचालन दिशानिर्देश सहित प्रमुख नीतिगत दस्तावेज़ जारी किए। कार्यशाला में डीसीसीसी मॉडल, सामान्य कैंसर के लिए मानक उपचार कार्यप्रवाह, कार्यान्वयन की निगरानी के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, वायरल हेपेटाइटिस स्क्रीनिंग के एकीकरण और एनक्यूएएस के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन तंत्र पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ भी दी गईं। एनएचएसआरसी, टाटा मेमोरियल सेंटर, एएचपीजीआईसी ओडिशा, एनसीडीसी और आईसीएमआर के विशेषज्ञों ने नैदानिक ​​और कार्यक्रम संबंधी मार्गों को मज़बूत करने पर अपने विचार साझा किए। ओडिशा, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने कैंसर स्क्रीनिंग, सामुदायिक सहभागिता और ज़िला-स्तरीय सेवा वितरण में सर्वोत्तम विधियों का प्रदर्शन किया और अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मापनीय मॉडल प्रस्तुत किए। कैंसर विशेषज्ञों और कार्यक्रम प्रमुखों के एक राष्ट्रीय पैनल ने एक एकीकृत कैंसर देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने, बहु-विषयक समन्वय को बढ़ाने, शीघ्र पहचान में सुधार लाने और जिला-स्तरीय क्षमता का विस्तार करने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने डीसीसीसी शुरू करने, मानक उपचार कार्यप्रवाह अपनाने, सामान्य कैंसर की जांच को मज़बूत करने और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से उच्चतर केंद्रों तक रेफरल प्रक्रिया में सुधार लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यशाला का दूसरा दिन राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के अंतर्गत शहरी स्वास्थ्य एजेंडे पर केंद्रित था। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए तेज़ी से बढ़ती शहरी आबादी और विचार-विमर्श से प्राप्त अनुभव को ध्यान में रखते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शहरी स्वास्थ्य चुनौतियों का सक्रियता से सामना करने की आवश्यकता पर बल दिया। अपर सचिव एवं मिशन निदेशक (एनएचएम) आराधना पटनायक ने शहरी स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने के लिए एकीकृत और शहर-विशिष्ट रणनीतियों को अपनाने के महत्व पर बल दिया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव (नीति) सौरभ जैन ने शहरों और कस्बों में शहरी स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने के उद्देश्य से संशोधित एनयूएचएम ढाँचे का मसौदा प्रस्तुत किया। कार्यशाला में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की प्रमुख प्राथमिकताओं का उल्लेख किया गया, जिनमें बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना, सेवा वितरण में सुधार, रेफरल कड़ी को मज़बूत करना और शहरी स्थानीय निकायों तथा राज्य स्वास्थ्य विभागों के बीच तालमेल को बढ़ावा देना शामिल है। राज्यों ने शहरी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए सर्वोत्तम विधियों और नवोन्मेषी मॉडलों को भी साझा किया। मंत्रालय ने एनयूएचएम ढांचे को बेहतर करने, शासन और निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने, तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सभी नागरिकों, विशेषकर सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोगों के लिए अधिक सुलभ, न्यायसंगत और लचीली करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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