मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में विश्वास मत हासिल कर लिया। दो तिहाई से ज्यादा सांसदों ने ओली का समर्थन किया। एक सप्ताह पहले सोमवार को गठबंधन सरकार की अगुआई करने के लिए उन्होंने चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। विश्वास मत पेश करते हुए ओली ने इस महीने के शुरू में नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए सात सूत्री समझौते को सार्वजनिक किया। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में रविवार को उपस्थित 263 सदस्यों में से 188 ने ओली के पक्ष में, जबकि 74 ने विरोध में मतदान किया। एक सदस्य मतदान से बाहर रहे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ओली को 138 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता थी। नेपाल के संविधान के अनुसार, नियुक्ति के 30 दिन के भीतर ओली के लिए विश्वास मत हासिल करना अनिवार्य था। विपक्षी पार्टियां सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-एकीकृत समाजवादी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी एवं अन्य ने ओली के विरोध में मतदान किया। मतगणना के बाद स्पीकर देवराज धीमिरे ने ओली के विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की। दूसरी ओर प्रधानमंत्री के रूप में ओली की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पास भेज दी है। कोर्ट ने गंभीर संवैधानिक व्याख्या की आवश्यकता का हवाला दिया है। सोमवार को शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के भीतर ही तीन वकीलों ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर ओली की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की थी।
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