मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नोएडा के हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। मेरठ के शारदा एक्सपोर्ट्स के गुप्ता बंधुओं के बाद अब इसमें नोएडा अथारिटी के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और मेरठ के मंडलायुक्त रहे मोहिंदर सिंह का नाम भी सामने आया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सीईओ रहते गुप्ता बंधुओं को नियमविरूद्ध लाभ पहुंचाया था। ईडी सूत्रों के अनुसार मंगलवार को सर्च के दौरान मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास से महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद और अघोषित संपत्ति की प्राप्ति हुई है। वहीं, मेरठ के साकेत स्थित आदित्य-आशीष गुप्ता के दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़, मेरठ और गोवा स्थित प्रतिष्ठानों पर भी मंगलवार को ही ईडी का सर्च ऑपरेशन चला था। इस कार्रवाई के संबंध में अभी तक ईडी ने अभी तक इसकी कोई आधिकारिक जानकारी लिखित या मौखिक रूप से नहीं दी है। इस संबंध में आरोपितों से भी उनका पक्ष लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। ईडी सूत्रों के अनुसार कंपनी ने लोटस-300 प्रोजेक्ट में 330 फ्लैट बनाने के लिए निवेशकों से 636 करोड़ रुपये जुटाए थे। आरोप है कि कंपनी ने लोगों को फ्लैट देने की बजाय प्रोजेक्ट की सात एकड़ भूमि दूसरे बिल्डर को बेच दी थी। ईओडब्ल्यू ने कंपनी और निदेशकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए थे। इस मामले में हाईकोर्ट ने नोएडा में हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले की जांच ईडी को करने को कहा था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपितों को यह भी आदेश दिया गया था कि वह फरवरी 2024 तक 166 करोड़ रुपये नोएडा अथारिटी में जमा कराएं। आरोप था कि कंपनी ने प्रोजेक्ट के नाम पर निवेशकों से रकम जुटाकर अपने दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दी है, हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी लेकिन साथ ही ईडी को कानूनी कार्रवाई जारी रखने को भी कहा था। उसी आधार पर चार शहरों में कंपनी के निदेशकों और सेवानिवृत्त आईएएस मोहिंदर सिंह के कुल 11 प्रतिष्ठानों को ईडी ने खंगाला है। मोहिंदर सिंह बसपा सरकार में प्रदेश में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उस समय नोएडा और लखनऊ में बने स्मारकों व पार्कों के निर्माण में 14 अरब के घोटाले में भी उनका नाम उछला था। उन्हें पूछताछ का नोटिस भेजा गया था। वह नवंबर 2011 में नोएडा अथारिटी के सीईओ बनाए गए थे। मूल रूप से शारदा एक्सपोर्ट के नाम से कालीन के बड़े कारोबारी रहे आदित्य और आशीष गुप्ता ने भी नोएडा में बुलेवार्ड नाम से रिहायशी अपार्टमेंट का भी निर्माण किया है। ईडी ने इसकी भी जांच शुरू कर दी है।
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