भोपाल: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के पश्चिमी-पूर्वी निमाड़ के अंतर्गत खण्डवा, बुरहानपुर, खरगौन, बड़वाह, सेंधवा और बड़वानी वनमंडलों के वनों की वनोपज औषधि, सागौन की इमारती लकड़ी , तेंदूपत्ता, महुआ, बाँस जैसी उपजों से एक वर्ष में राज्य शासन को 150 करोड़ रूपये से अधिक की आय हुई है।इसमें वन विकास निगम से होने वाली आय भी शामिल है।
निमाड़ वन क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिये ग्राम स्तर पर 33 प्राथमिक लघु वनोपज समितियाँ बनाई गई हैं। इनसे आदिवासी महिला-पुरुष संग्राहकों को 21 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया है। खण्डवा जिले में आने वाले वन क्षेत्र में 38 हजार 902 पुरुष एवं 33 हजार 685 अनुसूचित जनजाति के संग्राहकों को रोजगार मिला है। इन वर्गों के लोगों का जीवन वन और वन से होने वाली आय पर निर्भर है।
सीसीएफ खण्डवा रमेश गणावा ने बताया कि निमाड़ के खंडवा वन वृत के खण्डवा, बुरहानपुर, खरगौन, बड़वाह, सेंधवा और बड़वानी वनमंडलों के वनों से शासन को 150 करोड़ का राजस्व देकर अपनी अहम भूमिका निभा रही है। निमाड़ के वनों से स्थानीय 50 हजार पुरुष और महिलाओं को रोज़गार प्राप्त होता है। यहाँ के वनों से मिलने वाले तेंदूपत्ता, महुआ, सागौन, बाँस, धावड़ा और सलई गोंद देशभर में प्रसिद्ध है।
निमाड़ के वनोपज और जड़ी-बूटियों की माँग देशभर में बढ़ रही है
वनों में मौजूद औषधियाँ, पौधे मनुष्य की बीमारियों को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। इनमें नीम की निम्बोली और तेल, कालमेघ, गिलोय, अर्जुन, हड़जोड़, निर्गुण्डी, आँवला, बहेड़ा, चिरायता, अश्वग़ँधा, सर्पगंधा, अपामार्ग, धावड़ा, गोंद, शहद सहित अन्य पेड़-पौधे औषधि के काम आते हैं। इन औषधियों से पौष्टिक खाद्य सामग्री, तपेदिक, बवासीर, कुष्ठ रोग, माइग्रेन और सर्पदंश जैसी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। सीसीएफ गणावा ने बताया कि निमाड़ के वनों के औषधीय पौधों से 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष आय वन समितियों के संग्राहको को होती है। इसके अलावा सागौन की बिक्री से काष्ठ लाभांश, वन विभाग द्वारा पूर्व में वितरित बाँस पौधों से प्राप्त बाँस, रोपण क्षेत्रों से घास, तेंदूपत्ता, महुआ फूल एवं महुआ गुल्ली, सिराडी से चटाई और ईको पर्यटन केन्द्र धारीकोटला, बोरियामाल, गूँज़ारी और बावनगजा से होने वाली आय 50 करोड़ के लगभग है।
सीसीएफ खण्डवा गणावा ने बताया कि निमाड़ के बड़े तेंदूपत्ता की माँग देशभर में है। तेंदूपत्ता के लिये वन विभाग द्वारा लघु वनोपज संघ मुख्यालय भोपाल स्तर से टेण्डर जारी किये जाते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात राज्यों के व्यापारी टेण्डर में शामिल होते हैं। खंडवा के आशापुर डिपो के सागौन को प्रीमियर सागौन माना गया है।
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News & Image Source: khabarmasala