मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारतीय संविधान सरकार के लिए मात्र एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि पिछड़े-वर्गों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणा का मूलभूत स्रोत है। उन्होंने कहा कि संविधान देश में लोकतंत्र की जडें मजबूत करता है और बिना किसी रक्तपात के सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करता है। राज्यसभा में आज भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर विशेष चर्चा का उत्तर देते हुए गृह मंत्री विपक्ष के इस आरोप का करारा जवाब दिया कि संविधान की अनदेखी की जा रही है।
श्री शाह ने कांग्रेस शासन के दौरान किये गए अनेक संविधान संशोधनों का उल्लेख किया और बताया कि कांग्रेस के शासन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का पहला संविधान संशोधन हुआ था।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के 16 वर्षों के शासन में केवल 22 बार संविधान संशोधन किये गए, जबकि कांग्रेस के 55 साल के शासन में 77 संशोधन किए गए। श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव हारने के डर से लोकसभा और विधानसभाओं का कार्याकाल बढाने के लिए संविधान संशोधन किया।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने वस्तु और सेवा कर -जी एस टी लागू करने, अन्य पिछडा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दस प्रतिशत आरक्षण देने और लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन किए। ईवीएम में छेडछाड़ के आरोप पर विपक्ष पर हमला करते हुए श्री शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव हारने के बाद यह सवाल पूछा जा रहा है, लेकिन झारखंड में चुनाव जीतने पर ईवीएम से कोई समस्या नहीं थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इसलिए चुनाव हारी क्योंकि लोगों ने देखा कि उसके नेता संविधान की फर्जी प्रतियां लिए हुए थे। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश में धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देगी।
श्री शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह 50 प्रतिशत की आरक्षण की सीमा बढ़ाकर एक समुदाय विशेष को आरक्षण देने का प्रयास कर रही है। श्री शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाई है।
श्री शाह ने कहा कि देश के लोगों ने और संविधान ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है, जो कहा करते थे कि भारत कभी भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होगा, लेकिन आज देश विश्व की पांचवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र हर क्षेत्र में गहरे उतरा हुआ है और इसमें लेशमात्र भी रक्तपात के बगैर कई संशोधन हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने विचारों, अभियानों के आधार पर देशवासियों के लिए सुधार किए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में कई देशों ने आजादी हासिल की और नई शुरुआत की, लेकिन वहां लोकतंत्र सफल नहीं हो पाया। दूसरी ओर, भारतीय लोकतंत्र की जडें बहुत गहरी हैं और देश के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीकों से अनेक तानाशाहों के घमंड को चूर किया है।
इससे पहले, चर्चा में भाग लेते हुए सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि भारत न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल्यों के अनुसार, लोकतंत्र में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता समाहित होते हैं और प्रत्येक नागरिक. को गरिमापूर्ण जीवन जीने की अनुमति देता है।
श्री नड्डा ने कहा कि सरकार इस दृष्टिकोण के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि भारत संविधान सभा के उन सदस्यों का आभारी है, जिन्होंने भारतीय संविधान को आकार दिया। श्री नड्डा ने आरोप लगाया कि अतीत में कांग्रेस पार्टी ने संविधान को ध्वस्त किया।
श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला किया और तत्कालीन सरकार के घिनौने इरादों के खिलाफ खडे होने वाले कई न्यायाधीशों को पदोन्नति से वंचित किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राज्यों में स्थिर सरकारों को हटाने के लिए नब्बे बार अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि देश में 1952 से 1967 तक एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू था, लेकिन कांग्रेस ने इस व्यवस्था को बिगाड़ दिया।
तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने आरोप लगाया कि एक प्रतिशत आबादी देश की 40 प्रतिशत संपत्ति को नियंत्रित कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार मणिपुर मुद्दे पर मौन है। जनता दल यूनाइटेड के नेता और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर ने विपक्षी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया। डीएमके पार्टी के पी विल्सन ने आरोप लगाया कि सरकार संसद को कमजोर कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली लोकसभा में पारित 221 से अधिक विधेयक बिना बहस या एक घंटे से भी कम समय की चर्चा से पारित किए गए थे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि देश के संवैधानिक और सभ्यता के मूल्य बहुत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्र प्रथम का मंत्र है और उसने हमेशा राष्ट्र के विकास का समर्थन किया है। श्री यादव ने कांग्रेस पर सरकार के खिलाफ यह झूठ फैलाने का आरोप लगाया कि यदि कि भाजपा लोकसभा चुनाव में सत्ता में आई तो वह संविधान बदल देगी। श्री यादव ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्ष को सबक सिखा दिया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि देश में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के बिना एकता कायम नहीं रह सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों को अस्थिर करने में लगी है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने आरोप लगाया कि घुसपैठियों की आड़ में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के नाम दिल्ली की मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी सांसद के आरोपों का खंडन करते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि मतदाताओं के नाम हटाने में भी वही प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जो नाम जोड़ने और हटाने के प्रावधान में है। श्री नड्डा ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने और इसे संवैधानिक परिप्रेक्ष्य में देखने की अपील की। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी इसे मुद्दा क्यों बना रही है।
श्री सिंह के भाषण के दौरान की गई कुछ टिप्पणियों पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए शोरगुल किया। जनता दल सेक्युलर के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, कांग्रेस के सैयद नसीर हुसैन, तृणमूल की ममता ठाकुर, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, यूपीपीएल के रवंगवरा नारज़री, बीजू जनता दल के निरंजन बिशी, आईयूएमएल के अब्दुल वहाब और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।
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