मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि प्रौद्योगिकियों का तेजी से विकास हो रहा है। इससे नाबालिगों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अपराधों में भी तेजी आ रही है। इससे मुकाबले के लिए किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। सीजेआई तीन दिवसीय नेपाल की यात्रा पर हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, नेपाल के चीफ जस्टिस बिश्वोम्भर प्रसाद श्रेष्ठ ने उन्हें आमंत्रित किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने किशोर न्याय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने संबोधन में बच्चों और उनसे जुड़ी सामाजिक प्रणालियों के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डाला।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन्होंने कहा कि बच्चे साफ-सुथरी स्लेट के साथ दुनिया में आते हैं। लेकिन वे कुछ कारकों जैसे आर्थिक कठिनाई, माता-पिता की लापरवाही और साथियों के दबाव के चलते भटक सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘किशोर न्याय पर चर्चा करते समय हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और अनूठी जरूरतों को पहचानना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणाली सहानुभूति, पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण के अवसरों के साथ काम करे।’
मीडिया सूत्रों के अनुसार, सीजेआई ने कहा कि किशोर न्याय की बहुमुखी प्रकृति और समाज के विभिन्न आयामों के साथ इसके बीच के संबंधों को समझना जरूरी है। प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है। किशोर हैकिंग, साइबरबुलिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल उत्पीड़न जैसे साइबर अपराधों में शामिल हो रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आसान पहुंच से कम उम्र के बच्चे अवैध गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि साइबर अपराध और साइबर बुलिंग गंभीर चिंता के रूप में उभरे हैं। इसके प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के तंत्रों को अपनाना चाहिए।
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