मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश में मंगलवार रात अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री पद पर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की नियुक्ति हो गई। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने छात्र आंदोलन के समन्वयक मंडल के 13 सदस्यों से वार्ता के बाद यूनुस की नियुक्ति की घोषणा की। इस वार्ता में तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल थे। इससे पहले राष्ट्रपति ने देश की संसद (जातीय संसद) को भंग कर दिया जिससे अब नए आम चुनाव के लिए रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को ही मुख्य विपक्षी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया भी रिहा हो गईं। आंदोलनकारी छात्रों ने अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री पद के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस का नाम प्रस्तावित किया था। छात्र आंदोलन के समन्वयक मंडल में शामिल नाहिद इस्लाम ने बताया था कि मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनाए जाने पर छात्रों में सहमति बनी है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश को बचाने के लिए 84 वर्षीय यूनुस जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हो गए हैं। दो अन्य समन्वयकों-आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार के साथ नाहिद ने बताया कि सेना और सभी दलों से साफ कह दिया गया था कि यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के अतिरिक्त अन्य कोई सरकार छात्रों को स्वीकार्य नहीं है। देश में न हम सैन्य सरकार चाहते हैं और न ही फासिस्ट सरकार। नवनियुक्त प्रधानमंत्री यूनुस ने हसीना सरकार को हटाए जाने का स्वागत किया है। कहा है कि यह बांग्लादेश के लिए दूसरी आजादी की तरह है। ग्रामीण बैंक के जरिये गरीबी दूर करने के प्रयास के लिए यूनुस को 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद यूनुस के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से श्रम कानून का उल्लंघन करने के एक मामले में उन्हें छह महीने के कारावास की सजा भी हुई थी। एक अन्य घटनाक्रम में देश छोड़कर जा रहे बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री डॉ. हसन महमूद और एक अन्य पूर्व मंत्री जुनैद अहमद पलक को ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया गया है। जुलाई और अगस्त में छात्र आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए हजारों युवाओं को मंगलवार को जमानत दी गई। जुलाई में हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान ¨हसा में लिप्त करीब 11 हजार छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। कई हजार लोग अगस्त में गिरफ्तार हुए थे। राजधानी ढाका में कुछ कार्यालय मंगलवार को खुले और उनमें अधिकारी-कर्मचारी भी पहुंचे। कई इलाकों में दुकानें खुलीं और वाहनों का आवागमन भी देखा गया लेकिन जले हुए वाहन और हिंसा के निशान भी जहां-तहां दिखाई दे रहे हैं।
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