मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वांछित फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी को लंदन की एक अदालत से अस्थायी राहत मिली है। अदालत ने ब्रिटेन की जेलों में जरूरी कानूनी दस्तावेजों की आपूर्ति में हो रही देरी को आधार बनाते हुए बैंक आफ इंडिया के एक बकाया ऋण से जुड़े मुकदमे की सुनवाई मार्च 2025 तक टालने की अनुमति दे दी है। 54 वर्षीय नीरव मोदी, करीब दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में भारत प्रत्यर्पण का सामना कर रहा है। अक्टूबर में उसे दक्षिण लंदन की थेम्साइड जेल से उत्तर लंदन की एचएमपी पेंटनविल जेल में स्थानांतरित किया गया था, ताकि वह हाईकोर्ट में पेश हो सके। हालांकि, इस स्थानांतरण के बाद जेल प्रशासन द्वारा कानूनी कागजात उपलब्ध न कराए जाने से मामला उलझ गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को हुई आनलाइन समीक्षा सुनवाई में जस्टिस साइमन टिंकलर ने जनवरी में प्रस्तावित आठ दिन की सुनवाई को कुछ हफ्तों के लिए टालते हुए 23 मार्च से शुरू करने का आदेश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि यह संदेह बना हुआ है कि जरूरी दस्तावेज नीरव मोदी तक समय पर पहुंचेंगे भी या नहीं। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है। नीरव मोदी की ओर से पेश बैरिस्टर जेम्स किनमैन ने दलील दी कि यदि सुनवाई टाली नहीं गई तो उनके मुवक्किल को “गंभीर नुकसान” होगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण 2026 से पहले संभव नहीं है। दूसरी ओर, बैंक आफ इंडिया के वकील टाम बीस्ली ने लंबी स्थगन अवधि का विरोध करते हुए कहा कि यदि नीरव मोदी भारत प्रत्यर्पित हो गया, तो ब्रिटेन में मुकदमा चलाना मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि नीरव मोदी मार्च 2019 से लंदन की जेल में बंद है और फिलहाल एक तंग सेल में रह रहा है। उसके खिलाफ भारत में सीबीआइ और ईडी के तीन अलग-अलग आपराधिक मामले चल रहे हैं। 2021 में तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री प्रीति पटेल ने उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, लेकिन नीरव मोदी की कानूनी लड़ाई अब भी जारी है।
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