मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन की सेमीकंडक्टर कंपनी एआरएम अब भारत में 2 नैनोमीटर चिप्स बनाएगी। ये चिप बेंगलुरु में ही डिजाइन किए जाएंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एआरएम के नए ऑफिस का उद्घाटन करते हुए यह जानकारी दी। इन चिप्स का इस्तेमाल एआई सर्वर, ड्रोन और मोबाइल फोन में किया जाता है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत के सेमीकंडक्टर मिशन का एक बड़ा लक्ष्य प्रतिभा को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि देश का उद्देश्य केवल चिप्स ही नहीं, बल्कि उनके लिए आवश्यक उपकरणों और सामग्रियों का भी डिजाइन और निर्माण करना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के तहत 23 चिप डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 72 कंपनियां अब उन्नत डिजाइन उपकरणों का उपयोग करती हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केन्द्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के आकार वर्ष 2030 तक एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। जबकि भारत का घरेलू बाजार साल 2030 तक 100 से 110 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और संयुक्त राज्य अमरीका वैश्विक उद्योग पर हावी हैं। ताइवान दुनिया के 60 प्रतिशत से अधिक सेमीकंडक्टर और लगभग 90 प्रतिशत सबसे उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत पहले चिप डिजाइनिंग और पैकेजिंग में अधिक रूचि रखता था लेकिन कोविड महामारी के दौरान चिप की कमी के बाद भारत ने चिप का निर्माण करने का फैसला किया। चार साल के भीतर देश एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने की तरफ तेजी से आगे बढ रहा है।
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